मुंबई में बिना ओसी (OC) वाले इमारतों को भी पानी नहीं मिल रहा था, जिसके कारण अब बीएमसी ने 'सभी के लिए पानी' (dirking water) की नीति बनाई है। इस निती के बाद बिना अधिभोग प्रमाण पत्र (OC) वाले आवासीय इमारतो को भी अब से आधिकारिक जल मिलने की संभावना है।
दोगुना भुगतान किए बिना मिलेगा पानी
बिना OC के इमारतो मे रहनेवाले लोग पानी के बिल का दोगुना भुगतान किए बिना आधिकारिक निवासियों के लिए उसी दर पर पानी प्राप्त कर सकेंगे। पानी एक बुनियादी मानव अधिकार है। यह स्वीकार करते हुए कि इसे अनधिकृत निर्माणों से नहीं जोड़ा जा सकता है, बीएमसी ने 'सभी के लिए जल' नीति तैयार की है। इसे नगर आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने मंजूरी दे दी है।
इस बीच, मुंबई उच्च न्यायालय ने कुछ साल पहले बीएमसी को 2000 के बाद झुग्गी बस्तियों को पानी उपलब्ध कराने के लिए बीएमसी एक नीति तैयार करने के लिए कहा था। कोर्ट ने कहा था की या तो 2000 के बाद झुग्गी बस्तियों को बीएमसी हटाएं या फिर इन्हे पीने के पानी की व्यवस्था करे।
पीने के पानी के अधिकार की मांग करने वाली कई याचिकाओं में अदालत ने बार-बार नगर पालिका से कहा था कि पानी एक बुनियादी मानव अधिकार है।2022 से 2023 के बजट में नगर आयुक्त ने ऐसा ही किया था। इसी को देखते हुए नगर पालिका के जल अभियंता विभाग ने नई नीति तैयार की है।
बीएमसी के एक अधिकारी ने कहा "निवासी अक्सर एक इमारत में जीवन भर पूंजी के साथ एक घर खरीदते हैं, लेकिन डेवलपर निवासियों को धोखा देता है और छोड़ देता है, अधिभोग प्रमाण पत्र (OC) प्राप्त नहीं होता है और लोग वर्षों से उस इमारत में रह रहे हैं, ऐसी इमारतों को पानी नहीं दिया जाता है। हालांकि नई नीति के तहत ऐसी इमारतों को भी पानी मिल सकेगा"
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