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मृत वन अधिकारियों, कर्मचारियों के वारिसों को मुआवजा

बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने की

मृत वन अधिकारियों, कर्मचारियों के वारिसों को मुआवजा
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कैबिनेट की बैठक में सोमवार को वन विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के वारिसों को वन्य जीवों की रक्षा करते (Compensation to the heirs of deceased forest officers and employees) हुए जंगल की आग, जानवरों के हमले, तस्करों और शिकारियों के हमले में मृत्यु या स्थायी अपंगता की स्थिति में लाभ देने का निर्णय लिया गया।  बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने की।

मृतक वन अधिकारी या कर्मचारी के परिवार को 25 लाख रुपये, स्थायी विकलांगता की स्थिति में एक अधिकारी को 3 लाख 60 हजार रुपये, ग्रुप बी कर्मचारी को 3 लाख 30 हजार रुपये और ग्रुप सी और डी कर्मचारी को 3 लाख रुपये।

25 लाख रुपये की मुआवजा राशि कानूनी वारिसों के नाम संयुक्त सावधि जमा के रूप में रखी जाएगी। साथ ही इसे 10 साल तक हटाया नहीं जा सकता है। इस पर ब्याज की राशि हर महीने ली जा सकती है। सावधि जमा राशि असाधारण परिस्थितियों में पांच साल बाद निकाली जा सकती है।

यदि मृतक अधिकारी या कर्मचारी का परिवार अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र नहीं है या यदि वारिस ऐसी नियुक्ति को स्वीकार करने से इनकार करते हैं, तो उस पद से पदोन्नति का लाभ देने का निर्णय लिया गया जो मृत अधिकारी या कर्मचारी मृत्यु के समय धारण कर रहा था। 

साथ ही उनकी देय आयु के अनुसार सेवानिवृत्ति की तिथि तक वेतन में वृद्धि के साथ। मृतक वन अधिकारी, कर्मचारी के शव को वाहन से ले जाने का सारा खर्च सरकार वहन करेगी। साथ ही घायल कर्मचारियों के इलाज का खर्च राज्य सरकार वहन करेगी।

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