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स्कूल फीस कम करने या माफ करने का निर्णय न्यायालय में होने के कारण इसमें हस्तक्षेप नही- स्कूल शिक्षा विभाग

फिलहाल इस मामले में कोर्ट में सुनवाई चल रही है

स्कूल फीस कम करने या माफ करने का निर्णय न्यायालय में होने के कारण इसमें हस्तक्षेप नही- स्कूल शिक्षा विभाग
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स्कूल फीस में कटौती या छूट का मुद्दा उच्च न्यायालय में लंबित है, वर्तमान में सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।  स्कूल शिक्षा विभाग ने कहा कि सरकार उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए स्टे को हटाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। 


स्कूल शिक्षा विभाग  (School education department) ने एक बयान में कहा कि कानूनी मुद्दों पर गौर करने के लिए सरकारी स्तर पर विशेषज्ञ अधिकारियों की एक समिति गठित की जा रही है और सरकार को एक रिपोर्ट सौंपेगी।


कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रसार को रोकने और नियंत्रित करने के लिए, सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public health)  विभाग 13 मार्च, 2020 की अधिसूचना के अनुसार राज्य में संक्रामक रोग अधिनियम 1897 और आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 को लागू कर रहा है। 30 मार्च  2020 को परिपत्र के अनुसार , स्कूल शिक्षा विभाग को वर्तमान वर्ष और अगले वर्ष के लिए सभी प्रबंधन स्कूलों को छात्रों और अभिभावकों से फीस लेने के लिए बाध्य नहीं करना चाहिए।


इसके बाद, महाराष्ट्र शैक्षिक संस्थान शुल्क (विनियमन) अधिनियम 2011 की धारा (21) के तहत निहित शक्तियों के साथ-साथ आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा (26) (i) और (एल) के तहत निहित शक्तियों के तहत  08 मई 2020 को कक्षा 12 वीं से सभी बोर्ड, सभी माध्यमों और पूर्व-प्राथमिक के छात्रों के लिए, माता-पिता की सुविधा के लिए शैक्षणिक वर्ष 2019-20 और 2020-21 के लिए मासिक / त्रैमासिक / गैर-एक बार शुल्क जमा करने का विकल्प और  शैक्षणिक वर्ष 2020-2021 के लिए कोई शुल्क नहीं बढ़ाया जाना चाहिए। 


यदि शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए कुछ शैक्षणिक सुविधाओं का उपयोग नहीं किया जाता है और लागत कम हो जाती है, तो अभिभावकों की कार्यकारी समिति में एक प्रस्ताव पारित करके तदनुसार फीस कम की जानी चाहिए । इस अवधि के दौरान असुविधा से बचने के लिए माता-पिता को ऑनलाइन शुल्क का भुगतान करने का विकल्प दिया जाना चाहिए।


हालांकि सरकार के इस फैसले के खिलाफ   एसोसिएशन ऑफ इंडियन स्कूल्स, संत ज्ञानेश्वर  संस्था, ग्लोबल एजुकेशन फाउंडेशन, कसेगांव एजुकेशन सोसाइटी, अनएडेड स्कूल फोरम, ह्यूमन सोशल केयर फाउंडेशन और महाराष्ट्र समाज घाटकोपर ने 8 मई, 2020 को उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।  इसमें 8 मई 2020 के सरकार के फैसले को रद्द करने की मांग की गई है।

26 जून 2020 में मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने सरकार के 8 मई के आदेश पर रोक लगा दिया है। स्कूल शिक्षा विभाग का कहना है कि वो कोर्ट के सामने जनता का पक्ष रखने की कोशिश कर रही है। 

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