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8 नवंबर...8 बातें !

8 नवंबर 2017 को नोटबंदी के एक साल पूरे हो रहे है, जहां सरकार इस पर अपनी पीठ ठपठपा रही है तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे बिना सोचा समझा फैसला बता रहा है।

8 नवंबर...8 बातें !
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8 नवंबर 2017 को नोटबंदी को एक साल पूरे हो जाएंगे। इसी दिन साल 2016 को नोटबंदी लागू कर दी गई थी। 8 नवंबर की शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीवी पर आकर एलान किया की आज रात से मौजूदा करेंसी का चलन रद्द कर दिया गया है, जिसके साथ ही लोगों को अब पूराने नोट बैंक में जमा कराकर नए नोट लेनें होगे। हालांकी सरकार ने इसके लिए 50 दिन का समय भी दिया था। किसी ने इस कदम को ब्लैक मनी पर हमला करार दिया तो किसी ने इसे बिना सोचे समझे लागू किया हुआ फैसला। आईये जानते है कुछ बातों को जो पूरे साल नोटबंदी को लेकर सुर्खियों में रही।

1) आजादी के बाद दूसरी बार ऐसा कोई फैसला
नोटबंदी का फैसला कितना सही था और कितना गलत ये समय बताएगा , लेकिन आजाद भारत के इतिहास में दूसरी बार नोटबंदी का निर्णय लिया गया। पहली बार मौजूद करंसी को बंद कर नए करंसी को बाजार में उतारा गया। इसके पहले नए करेंसी जारी तो होती थी, लेकिन पूरानी करेंसी बंद नहीं हुई थी। 16 जनवरी 1978 को जनता पार्टी की गठबंधन सरकार ने 1000, 5000 और 10,000 रुपए के नोटों का विमुद्रिकरण किया था।

2) 99 प्रतिशत पूराने नोट वापस आए 
भले ही सरकार ने इस नोटबंदी के पिछे की मंशा जताई थी की जिन लोगों के पास कैश में ब्लैक मनी है वे अपना पैसा बैंक में जमा नहीं करवाएंगे, हालांकी अगस्त में आरबीआई के एक आकड़े के मुताबिक 1000 रुपये और 500 रुपये के करीब 99 प्रतिशत नोट वापस आए।

3) 2.24 लाख फ़र्ज़ी कंपनियां पर ताला
नोटबंदी के बाद सरकार ने फर्जी कंपनियों पर शिकंजा कसना शुरु कर दिया है। सरकार ने शेल कंपनियों यानी की फर्जी कंपनियों के रजिस्ट्रेसन रद्द कर दिए और उनपर जांच बैठा दी। इसके साथ ही सरकार ने 3.09 लाख डायरेक्टर्स को अयोग्य घोषित कर दिया। नोटबंदी के बाद इन कंपनियों के खातो से 17,000 करोड़ रुपए जमा किए और निकाले गए।


4) सोने की मांग घटी
जब नोटबंदी लागू की गई थी तब लोगों ने बड़े पैमाने पर सोने की खरिददारी की थी। हालांकी नोटबंदी का ऐलान होने के बाद एक साल में देश में सोने की डिमांड 25 फीसदी कम हुई है। हालांकी त्यौहारो के सीजन में सोने की मांग में बढ़ोत्तरी देखी गई थी, लेकिन जीएसटी के 3 फिसदी टैक्स के कारण फिर से सोने की मांग में गिरावट आई।

5)डिजिटल ट्रांजैक्शन में ठहराव
नोटबंदी के लागू होने के बाद डिजिटल ट्रांजेक्शन में बढोत्तरी देखनें को मिली थी। हालांकी बाद में जैसे जैसे कैश की आपूर्ति होती गई , डिजिटल ट्रांजेक्शन फिर से कम होता गया। साल 2017 -2018 में अक्टूबर तक ही डिजिटल ट्रांजेक्शन 1000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, पिछले पूरे वित्त वर्ष यानि 2016 - 2017 में कुल मिलाकर इतना डिजिटल ट्रांजेक्शन हुआ था। हालांकी एक बात ये भी ही की जैसे जैसे बाजार में कैश उपलब्ध हो रहा है वैसे वैसे लोग नगदी का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे है। मौजूदा समय में भारत में अभी भी 95 फीसदी काम काज कैश से ही चल रहा है।

6) देश की जीडीपी में गिरावट
पिछलें एक साल में देश की जीडीपी में 2 फिसदी की गिरावट आई है। भारत की वृद्धि दर 2016 में 7.1 प्रतिशत रही थी, तो वही 2017 के चौथी तिमाही में वृद्धि दर 6.1 फीसदी रह गई। हालांकी की वित्त वर्ष 2017 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर घटकर 5.7 फीसदी रह गई थी।

7) ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में भारत टॉप 100 देशों में
विश्व बैंक की ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग’ में भारत ने लंबी घलांग लगाई। कारोबार करने की सहूलियत के मामले में भारत 130 की रैंकिंग से सीधे 100वें पायदान पर पहुंच गया है, यानी की सीधा 30 रैंकिंग की सुधार।


8) बैंको में लाइन में लगने के कारण 100 से भी ज्यादा लोगों की मौत
नोटबन्दी के दौरान मीडिया रीपोर्टस के अनुसार 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। ये मौत कथित रुप से बैंको के सामने लाइन लगाने की वजह से हुई थी।

नोट- (ये सारी जानकारियां अलग अलग मीडिया रिपोट्स पर आधारीत है, जिन्होने समय समय पर नोटबंदी से जुड़ी खबरों को छापा है)


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