मुंबईकर जहां कोरोनावायरस ( Coronavirus) से पीड़ित हैं, वहीं अब उन्हें एक नए संकट का सामना करना पड़ रहा है। इस नए संकट को 'मायोकार्डिअल इन्फ्रक्शन' (Black fangus) कहा जाता है। वर्तमान में मुंबई शहर में म्यूकोमाइकोसिस के लगभग 400 रोगी हैं और मुंबई नगर निगम (BMC) ने केईएम के अधीक्षक डॉ. हेमंत देशमुख की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है। इसी कमेटी के माध्यम से निजी और सरकारी अस्पतालों में इंजेक्शन बांटे जा रहे हैं।
म्यूकोसल रोगियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और ऐंटिफंगल के लिए एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की मांग भी बढ़ रही है। हालांकि, इंजेक्शन की अनुपलब्धता के कारण, नगरपालिका ने इसके वितरण की जिम्मेदारी इस समिति को सौंपी है ताकि कोई काला बाजारी न हो। समिति को समान अनुपात में उपयुक्त रोगियों और इंजेक्शन की आपूर्ति करनी है और इस उद्देश्य के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
प्रत्येक म्यूकोसल रोगी को लिपोसोमल एम्पोटेरेसिन-बी देने की आवश्यकता नहीं होती है। यह तब भी काम करता है जब युवा रोगियों को विकल्प के रूप में दूसरा एम्पुटेरासिन दिया जाता है। नगर पालिका ने एक डैशबोर्ड बनाया है और रोगियों का निदान होने पर रोगी की जानकारी भर दी जाती है।
उपलब्ध स्टॉक को निजी और सरकारी अस्पतालों के मरीजों की मांग के अनुसार समान रूप से वितरित किया जाता है। मुंबई के 400 मरीजों में से बता दें कि केईएम में 100 मरीज भर्ती हैं। उपलब्ध स्टॉक का 25% केईएम को दिया जाता है। ऐसे में मरीजों के हिसाब से स्टॉक बांटा जाता है।
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