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सफ़ेद दूध की काली कहानी


सफ़ेद दूध की काली कहानी
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बड़े बुजुर्ग अक्सर आशीर्वाद देते समय कहा करते हैं 'दूधो नहाओ फलो फूलों'। हमारे देश में दूधो नहाओ से मतलब स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतिक माना जाता है। लेकिन अब यही दूध बीमारी को न्योता देने का एक कारण बनता जा रहा है। केंद्रीय पशुकल्याण मंडल के सदस्य मोहनसिंह अहलूवालिया ने एक बेहद ही चौकानें वाला खुलासा किया है कि देश के बाजारों में बिकने वाला 68 फीसदी दूध मिलावटी होता है। यही नहीं स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि 2025 तक 87 फीसदी भारतीय मिलावटी दूध खाने से कैंसर की चपेट में आ जाएंगे।

इसे देखते हुए अब एफडीए (Food and Drug Administration) से कड़े कदम उठाने की मांग लोग कर रहे है। अब दूध उत्पादक शेतकरी संघर्ष समिती से लेकर मुंबई ग्राहक पंचायत तक सभी मुंबई सहित राज्यभर में दूध में मिलावट करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

 
मिलाते हैं खतरनाक केमिकल 

जैसा की आप सभी जानते हैं कि छोटे बच्चों से लेकर बड़े बूढ़ों तक सभी को दूध आवश्यक होता है। भारतीय रसोई में तो दूध का खासा महत्व है। लेकिन मिलावटखोर दूध में मिलावट करके लोगों की स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. ये लोग दूधों में स्टार्च, शक़्कर, ग्लूकोज, युरिया, अमोनियम, न्युट्रीलायजर, हाईड्रोजन पैराक्साईड, डिटर्जंट पावडर जैसे जहरीले  मिलाकर दूध बेचते हैं। इस मिलावटी दूध के सेवन से लोग कैंसर के शिकार हो सकते हैं।


नींद में है FDA 
इस बारे में दूध उत्पादक शेतकरी संघर्ष समिती के पदाधिकारी डॉ. अजित नवले का कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक बिकने वाले 68 फीसदी दूध मिलावटी होते है और इनके लगातार सेवन से 2025 तक 87 फीसदी भारतीय कैंसर का शिकार हो सकते हैं, बावजूद इसके एफडीए कुछ कड़े कदम नहीं उठा रहा है। लोगों में दूध को लेकर एक आशंका का माहौल बनता जा रहा है।

नवले आगे कहते हैं कि दूध का बाजार एक असंगठित क्षेत्र में आता है, यहां मांग अधिक है और सप्लाई कम। इसीलिए मिलवाटखोर लोग किसानों से खरीद दूध खरीद कर उसमें मिलावट करके बाजारों में बेच देते हैं।

हर जगह होता है मिलावट का खेल 
मुंबई के आरटीआई एक्टिविस्ट यजुर्वेद राव इस बारे में कहते हैं कि मुंबई की गली में स्थित दूध की दुकान हो या दूध की कंपनी मिलावट का खेल हर जगह खेला जाता है। वे आगे कहते हैं कि इस बारे में एफडीए के अधिकारियों को मालूम होता है बावजूद इसके कोई कदम नहीं उठाया जाता है। इसे रोकने के लिए अधिकारियों को प्रतिदिन कार्रवाई करनी होगी।


FDA कर रही है कार्रवाई 

एफडीए कमिश्नर डॉ. पल्ल्वी दराडे का कहना है कि मिलावट को रोकने को रोकने के लिए एफडीए गंभीर है। इसके लिए हम रोज कार्रवाई कर रहे हैं और आगे भी हम कड़े कदम उठाते रहेंगे।

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