एक महत्वपूर्ण फैसले में,
बॉम्बे हाई कोर्ट ने माना है कि पूरे महाराष्ट्र में रेस्तरां अपने ग्राहकों को हर्बल हुक्का परोसने से रोक नहीं सकते हैं,
जब तक कि इसमें निकोटीन या तंबाकू शामिल नहीं है। यह निर्णय शीशा संयोजक द्वारा दायर एक याचिका पर आया है जिसमें हर्बल हुक्का का उपयोग करने की अनुमति मांगी गई थी,
जो संशोधित सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA)
के तहत वर्जित नहीं है।
सरकार ने निकाला था नया नियम
महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में COTPA
में संशोधन किया है और रेस्तरां में किसी भी स्वाद के हुक्के के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। कमला मिल्स में लगी आग के बार सरकार ने ये कमद उठाया था।
नए संशोधनों ने किसी भी रूप में हुक्का परोसने वाले रेस्तरां के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की। शीशा स्काईलॉउन ने इस संशोधन पर आपत्ति जताई,
क्योंकि इसे हर्बल हुक्का भी परोसा गया था।
अली रजा आब्दी ने इस बाबत हाईकोर्ट में एक याचिका भी डाली थी। जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने हर्बल हुक्का की इजाजत दे दीये,
जिसमें तंबाकू नहीं पाया जाता है।
सामान्य तंबाकू हुक्के के मुकाबले,
हर्बल हुक्का में कम नशा होता है। हर्बल हुक्का में तंबाकू नहीं पाया जाता है। जिससे इसका सेहत पर काफी कम नुकसान होता है।
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