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मुंबई विश्वविद्यालय के कई अस्थायी कर्मचारियों को हाईकोर्ट से राहत


मुंबई विश्वविद्यालय के कई अस्थायी कर्मचारियों को हाईकोर्ट से राहत
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मुंबई विश्वविद्यालय के कई अस्थायी कर्मचारियों को राहत देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय को उनकी सेवाएं खत्म करेने से रोक दिया है इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है की उनके सभी पिछलें बकायों का जल्द से जल्द भूगतान किया जाए।  तीन मई को जारी किये गए इस आदेश में   न्यायमूर्ति ए के मेनन की एकल पीठ ने शहर में औद्योगिक अदालत के 2018 के फैसले के कुछ भाग को बरकरार रखा जिसमें विश्वविद्यालय को कानून की प्रक्रिया का पालन किए बगैर करीब 900 अस्थायी कर्मचारियों की सेवाएं खत्म करने से रोक दिया था।

क्या था औद्योगिक अदालत का फैसला

मामले की सुनवाई करते हुए औद्योगिक दालत ने कहा था की   2014 में इन कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करके विश्वविद्यालय ने महाराष्ट्र मजदूर संघ मान्यता एवं अनुचित श्रम व्यवहार रोकथाम कानून, 1971 के प्रावधानों का उल्लंघन किया। औद्योगिक अदालत नेइन कर्मचारियों को बकाये का भुगतान करने का भी विश्वविद्यालय को निर्देश दिया था। हालांकी औद्योगिक कोर्ट के इस फैसले के कुछ मुद्दों से नाखुश लोगों ने इसे बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।   

क्या थी कर्मचारियों की दलील

कर्मचारी चाहते थे कि उन्हें याचिका दायर करने की तारीख से बकाया मिले जबकि विश्वविद्यालय ने दलील दी कि वह औद्योगिक निकाय नहीं है और इसलिए यह मुद्दा अदालत के अधिकार क्षेत्र के बाहर है। न्यायमूर्ति मेनन ने कहा कि याचिकाकर्ता राहत के हकदार हैं और विश्वविद्यालय ने निश्चित तौर पर कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किया। और उन्हे उनकी सेवाएं खत्म करेने से रोक दिया और  उनके सभी पिछलें बकायों का जल्द से जल्द भूगतान करने का भी आदेश दिया।  

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