आपातकाल के दौरान 1975 से 1977 तक लोकतंत्र की लड़ाई लड़ते हुए जेल में बंद लोगों को अब बढ़ा हुआ मानदेय मिलेगा। साथ ही मानदेय धारक के जीवित पति-पत्नी को मानदेय देने और कुछ अन्य शर्तों में ढील देने का निर्णय हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया। बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने की।
25 जून 1975 से 31 मार्च 1977 तक आपातकाल घोषित था
देश में 25 जून 1975 से 31 मार्च 1977 तक आपातकाल घोषित था। इस दौरान लोकतंत्र की लड़ाई लड़ने वालों को जेल जाना पड़ा। ऐसे व्यक्तियों को सम्मानित करने और उन्हें उचित पहचान देने के लिए 2018 में हर महीने मानदेय देने की नीति तय की गई है। इस मानदेय को बढ़ाने का निर्णय कैबिनेट की बैठक में लिया गया, जिसके अनुसार आपातकाल के दौरान एक महीने से अधिक समय तक जेल में बंद लोगों को बीस हजार रुपये प्रति माह और उनके जीवित पति या पत्नी को दस हजार रुपये प्रति माह दिए जाएंगे।
जीवित पति या पत्नी को भी मिलेगा मानधन
आपातकाल में एक माह से कम अवधि तक जेल में बंद रहे कैदियों को दस हजार रुपये प्रतिमाह तथा उनके जीवित पति या पत्नी को पांच हजार रुपये दिए जाएंगे। मानदेय के लिए जीवित पति या पत्नी को संबंधित जिला कलेक्टर के समक्ष नए सिरे से आवेदन करना होगा। साथ ही, यदि आपातकाल के दौरान जेल में बंद व्यक्ति दो जनवरी 2018 से पहले जीवित नहीं था, तो उसके जीवित पति या पत्नी शपथ पत्र संलग्न कर आवेदन कर सकेंगे।
इसके लिए समय सीमा इस संबंध में सरकारी निर्णय की घोषणा की तिथि से 90 दिन होगी। पहले इस योजना के तहत आवेदन करने के लिए गिरफ्तारी के समय न्यूनतम आयु की शर्त 18 वर्ष थी, यह शर्त समाप्त कर दी गई है।
यह भी पढ़े- महाराष्ट्र के सभी पुल-पुलियों की संरचनात्मक ऑडिट रिपोर्ट तुरंत पेश करें- मंत्री शिवेंद्रसिंह भोसले