जैसे जैसे चुनाव के समय करीब आते जा रहे हैं वैसे वैसे मोदी सरकार अपने तरकस से कुछ न कुछ चुनावी तीर छोड़ रही है। अब मोदी सरकार ने नौकरीपेशा लोगों को ध्यान में रखते हुए उन्हें अपने पाले में लाने का प्रयास किया है। सरकार की तरफ से वेतनभोगी वर्ग के लिए आयकर छूट की सीमा वर्तमान ढाई लाख से बढ़ाकर अब पांच लाख रुपये सालाना तक हो सकती है।
खबरों की मानें तो वित्त मंत्री अरुण जेटली अपने अंतरिम बजट में इसकी घोषणा कर सकते हैं। यही नहीं बजट में मेडिकल खर्च और ट्रांसपोर्ट अलाउंस को भी टैक्स फ्री करने की घोषणा की जा सकती है।
सूत्रों में मुताबिक मोदी सरकार ने मध्यम वर्ग को रिझाने के लिए यह फैसला किया है, क्योंकि मध्यमवर्ग को साध कर बहुत बड़ा वोट बैंक हासिल किया जा सकता है। इस समय कर की संरचना जैसी है उसके अनुसार ढाई लाख से 5 लाख सालाना आय के अंदर वाले वेतनभोगियों से 5 फीसदी, 5 से 10 लाख रुपए सालाना आय वाले वेतनभोगियों से 20 फीसदी तो 10 लाख से उपर वाले वेतनभोगियों से 30 फीसदी टैक्स लिया जाता है।
बताया जा रहा है जीएसटी, नोटबंदी, रोजगार जैसी नीतियों से सबसे अधिक प्रभावित मिडलवर्ग ही हुआ था, जो मोदी सरकार से नाराज भी चल रहे थे। तो ऐसे में सरकार को यह चिंता सता रही है कि कहीं आगामी आम चुनाव में मध्यम वर्ग उससे पल्ला न झाड़ ले।
एक अधिकारी ने इस मुद्दे पर बात करते हुए बताया कि यह कदम जल्द पेश होने जा रहे जो डायरेक्ट टैक्स कोड के अनुरूप होंगे। हालांकि डायरेक्ट टैक्स कोड रिपोर्ट 28 फरवरी को पेश होगी, जबकि अंतरिम बजट उससे पहले हो आ जाएगा।
यही नहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ नए डायरेक्ट टैक्स कोड के तहत अधिक से अधिक लोगों को कर दायरे में लाने की कोशिश की जाएगी। और विभिन्न वर्गो के करदाताओं के लिए टैक्स प्रणाली को अधिक न्यायसंगत बनाया जाएगा। यही नहीं कार्पोरेटर टैक्स को घटाकर कारोबारी प्रतिस्पर्धा को बढ़ाया जाएगा और बाकी बचे टैक्स छूटों को भी धीरे-धीरे खत्म किया जाएगा। तो ऐसे में अब यह देखना बाकी है कि क्या इस चुनावी तीर से मोहित होकर मिडल वर्ग मोदी सरकार के साथ आते हैं या नहीं?