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महाराष्ट्र - वसई के स्कूल की मान्यता रद्द

13 साल की लड़की की मौत का संबंध शारीरिक सज़ा से जुड़ा

महाराष्ट्र - वसई के स्कूल की मान्यता रद्द
(Representational Image)
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महाराष्ट्र स्कूल एजुकेशन डिपार्टमेंट ने पालघर ज़िले के वसई में श्रीमती मनराजीदेवी एजुकेशन सोसाइटी के चलाए जा रहे दो स्कूलों की मान्यता वापस ले ली है। ऐसा एक 13 साल की स्टूडेंट की मौत और एजुकेशन और चाइल्ड सेफ्टी कानूनों के उल्लंघन के बाद हुआ है।यह फ़ैसला डिपार्टमेंटल जांच के बाद शनिवार, 13 दिसंबर को जारी एक सरकारी प्रस्ताव के ज़रिए सुनाया गया।(Maharashtra Derecognises Vasai Schools After Teen Girl Death Linked to Corporal Punishment)

8 नवंबर की घटना 

8 नवंबर को, वसई ईस्ट के श्री हनुमंत विद्यामंदिर हाई स्कूल की क्लास 6 की स्टूडेंट काजल गौर स्कूल देर से पहुंची और उसे सज़ा दी गई। रिपोर्ट्स में कहा गया कि सज़ा के बाद वह बीमार पड़ गई। 14 नवंबर को उसकी मौत हो गई। सज़ा में उसे स्कूल बैग लेकर 100 सिट-अप्स करने पड़े।

राइट टू एजुकेशन एक्ट का पालन न करने में गंभीर कमियां 

सरकारी प्रस्ताव के मुताबिक, जांच में स्टूडेंट सेफ्टी, खराब एकेडमिक स्टैंडर्ड और राइट टू एजुकेशन एक्ट का पालन न करने में गंभीर कमियां पाई गईं।  डिपार्टमेंट ने कहा कि इंग्लिश और हिंदी मीडियम स्कूल RTE एक्ट, 2009, महाराष्ट्र RTE रूल्स, 2011 और महाराष्ट्र सेल्फ-फाइनेंस्ड स्कूल्स एक्ट, 2012 के तहत ज़रूरी नॉर्म्स को पूरा करने में फेल रहे।

घटना को चाइल्ड प्रोटेक्शन रूल्स का गंभीर वायलेशन माना

एक टीचर द्वारा फिजिकल पनिशमेंट का इस्तेमाल RTE एक्ट के सेक्शन 17 का सीधा वायलेशन पाया गया, जो साफ तौर पर फिजिकल पनिशमेंट पर बैन लगाता है। अधिकारियों ने इस घटना को चाइल्ड प्रोटेक्शन रूल्स का गंभीर वायलेशन माना, क्योंकि बताया गया कि इससे एक स्टूडेंट की मौत हो गई।

कई टीचर्स के पास ज़रूरी एकेडमिक और प्रोफेशनल क्वालिफिकेशन नहीं 

जांच में यह भी पता चला कि दोनों स्कूलों में काम करने वाले कई टीचर्स के पास ज़रूरी एकेडमिक और प्रोफेशनल क्वालिफिकेशन नहीं थीं। अधिकारियों ने कहा कि इससे टीचिंग की क्वालिटी पर असर पड़ा और स्टूडेंट्स के सही एजुकेशन के अधिकार का वायलेशन हुआ।स्कूल सेफ्टी और इंफ्रास्ट्रक्चर में भी गंभीर कमियां पाई गईं। मैनेजमेंट बिल्डिंग परमिशन और लैंड ओनरशिप से जुड़े डॉक्यूमेंट्स जमा करने में फेल रहा। इस वजह से, जगह को अनऑथराइज्ड माना गया। जांच में आगे पाया गया कि स्कूलों ने पेरेंट-टीचर एसोसिएशन और चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटियों जैसी ज़रूरी बॉडीज़ नहीं बनाई थीं।  उन्होंने RTE एक्ट के तहत ज़रूरी Form-2 की मान्यता भी नहीं ली थी। अधिकारियों ने यह भी पाया कि स्कूल सरकार से मंज़ूरी लिए बिना क्लास 9 और 10 चला रहे थे। इसे एक बड़ा कानूनी उल्लंघन बताया गया।

दोनों स्कूलों की मान्यता कैंसल

इन नतीजों के आधार पर, राज्य सरकार ने निर्देश दिया कि 2025-26 एकेडमिक साल के आखिर में दोनों स्कूलों की मान्यता कैंसल कर दी जाए। शिक्षा अधिकारियों से कहा गया है कि वे यह पक्का करें कि इन स्कूलों के स्टूडेंट्स को पास के मान्यता प्राप्त स्कूलों में एडमिशन दिया जाए ताकि उनकी पढ़ाई में कोई रुकावट न आए।

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