महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने राज्य की स्कूल बस नीति में बड़े बदलाव की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि इन बदलावों से छात्रों की सुरक्षा और सुविधा में सुधार होगा। सरकार 2011 के नियमों में संशोधन करेगी। (Maharashtra Govt Set to Revamp 14-Year-Old School Bus Policy)
वर्तमान में राज्य में लगभग 40,000 लाइसेंसी स्कूल बसें और कारें चल रही हैं। लेकिन स्कूल बस एसोसिएशन का कहना है कि 50,000 से 60,000 अतिरिक्त गैर-लाइसेंसीकृत वाहन भी इस्तेमाल किये जा रहे हैं। उनमें से कई बच्चों के लिए असुरक्षित हैं। यह घोषणा यशवंतराव चव्हाण सभागार में एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान की गई। स्कूल बस एसोसिएशन, अभिभावक संघ के पदाधिकारी और परिवहन आयुक्त विवेक भीमनवार उपस्थित थे।
रिपोर्ट के अनुसार, सरनाईक ने कहा कि छात्रों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि सभी स्कूल बस चालकों को सुरक्षा नियमों का पालन करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि विभाग अभिभावकों और चालक समूहों के सुझावों पर विचार करेगा। लेकिन उल्लंघनकर्ताओं को संरक्षण नहीं दिया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि बिना लाइसेंस वाले वाहन मालिकों को स्थानीय आरटीओ में पंजीकरण कराने के लिए तीन महीने का समय मिलेगा। उन्हें आवश्यक जुर्माना भी अदा करना होगा। इस समय सीमा के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी। यदि कोई आरटीओ अधिकारी उल्लंघनकर्ताओं की मदद करता पाया गया तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
दिलचस्प बात यह है कि महाराष्ट्र पहला राज्य था जिसने विशेष स्कूल बस नीति बनाई। उन्होंने वादा किया कि बैठक में प्राप्त सभी सुझावों का अध्ययन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विभाग संशोधन के दौरान मौजूदा प्रणाली की खामियों को दूर करेगा।सूत्रों के अनुसार अभिभावकों ने स्कूल बसों में कुछ सुरक्षा उपकरणों की मांग की है। इनमें सीसीटीवी कैमरे, महिला परिचारिकाएं और आपात स्थिति के लिए पैनिक बटन शामिल हैं।
वर्ष 2008 से परिवहन विभाग ने स्कूल बस सुरक्षा के लिए कई नियम जारी किए हैं। जुलाई 2008, मार्च 2011 और पुनः 2013 में महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किये गये। इनमें से कई को समय के साथ अद्यतन किया गया है। लेकिन इन नियमों का पालन कैसे किया जाए, इसमें अभी भी समस्याएं हैं।
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