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लॉकडाउन में भी महाराष्ट्र की शिक्षा के स्तर में नही आई कमी, इस IAS अधिकारी का है बड़ा हाथ।

IAS विशाल सोलंकी ने शिक्षा में तकनीक के इस्तेमाल को काफी बढ़ावा दिया है

लॉकडाउन में भी महाराष्ट्र की शिक्षा के स्तर में नही आई कमी, इस IAS अधिकारी का है बड़ा हाथ।
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हम अक्सर काम का श्रेय सरकार या मंत्री को देते है लेकिन पर्दे के पीछे काम करनेवाले नायक को हम कम ही जान पाते है। आज हम बात करने जा रहे है एक ऐसे ही नायक की। जिन्होंन ना सिर्फ लॉकडाउन के दौरान महाराष्ट्र की शिक्षा स्तर को बनाये रखा बल्कि उसमे कई तरह के सकारात्मक बदलाव भी किये।  हम बात करने जा रहे है IAS अधिकारी और महाराष्ट्र शिक्षा विभाग के कमिश्नर विशाल सोलंकी की।

लॉकडाउन में भी शिक्षा के स्तर में कमी नही

पूरे देश ने कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन का सामना किया।  लॉकडाउन में सबसे बड़ी मार जहां मजदूरों और छोटे व्यापारियों पर पड़ी तो वही छात्रों पर भी इसका काफी गहरा असर पड़ा। कोरोनावायरस के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने संपूर्ण लॉकडाउन लगाया ।  इन सबके बीच बच्चों के लिए स्कूलों को पूरी तरह बंद ही रखा गया ।कोरोनावायरस की पहली लहर के बाद दूसरी लहर में भी बच्चों के लिए स्कूल को नहीं खोला गया।  इस दौरान  यह देखा गया कि स्कूल बंद होने के कारण कई जगहों पर बच्चों की शिक्षा क्वालिटी पर इसका असर पड़ा, हालांकि इन सब मुसीबतों के बावजूद महाराष्ट्र में शिक्षा के स्तर में कोई कमी नही है।

राज्य सरकार और शिक्षा मंत्री के साथ-साथ इस कार्य मे शिक्षा विभाग के कमिश्नर आईएएस विशाल सोलंकी का भी बढ़ा हाथ है। 39  साल के विशाल सोलंकी 2005 कैडर के IAS अधिकारी है।

शिक्षा में तकनीक को दिया बढ़ावा

विशाल सोलंकी ने शिक्षा में तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया है। केंद्र सरकार के साथ साथ  राज्य सरकार की कई योजनाओं के तहत विशाल सोलंकी ने ई साहित्य को बढ़ावा दिया है। इसके साथ ही उन्होंने QR कोड के जरिये भी पढ़ाई को आसान बनाने के टिप्स दिए। OSP के तहत उन्होंने  QR कोड शिक्षा को लोगो के बीच मे पहुँचाया। विशाल सोलंकी के कार्यकाल में ही महाराष्ट्र को दीक्षा चैंपियन का पुरस्कार भी मिला है।

पहली बार में नही किया था UPSC जॉइन

विशाल सोलंकी ने साल 2004 में  UPSC की परीक्षा पास की थी , लेकिन उस परीक्षा में उन्हें IAS का रैंक नही मिलने के कारण उस साल उन्होंने UPSC नही जॉइन की । उन्होंने ठान रखा था कि उन्हें IAS ही बनना है। अपने इसी विश्वास के साथ उन्होंने 2005 में एक बार फिर से UPSC की परीक्षा दी और पूरे देश मे 8वें स्थान पर रहे। महज 22 साल की उम्र में ही वह IAS बन गए।

समस्याओं का तुरंत समाधान

विशाल सोलंकी समय का महत्व बखूबी जानते है। किसी भी तरह की समस्याओं का समाधान वह या तो तुरंत ननिकालते है या फिर बहुत ही कम समय मे। छात्रों की समस्याओं का समाधान करने में वह पीछे नही रहते। कई लोगों ने इस बात का अनुभव किया है। काम उम्र में ही IAS बनने के कारण विशाल सोलंकी को शिक्षा का महत्त्व पता है। इसलिए छात्रों की पढ़ाई के किसी भी प्रकार की मदद के लिए वह हमेशा तैयार रहते है। 

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