पालघर जिला कलेक्ट्रेट पर मंगलवार को एक विशाल सामुदायिक मार्च निकाला गया। यह आंदोलन धनगर और बंजारा समुदायों द्वारा अनुसूचित जनजातियों में घुसपैठ के प्रयासों के विरुद्ध निकाला गया।यह मार्च बिरसा मुंडा चौक से पैदल जिला कलेक्ट्रेट पहुँचा। इस मार्च में लगभग 15 हज़ार आदिवासी शामिल हुए।
जिला कलेक्टर डॉ. इंदु रानी जाखड़ को मांगों का एक ज्ञापन सौंपा गया
मार्च का नेतृत्व विधायक विलास तारे और विधायक राजेंद्र गावित ने किया। मार्च के अंत में, जिला कलेक्टर डॉ. इंदु रानी जाखड़ को मांगों का एक ज्ञापन सौंपा गया।मार्च जिला कलेक्ट्रेट पहुँचकर एक सभा में बदल गया। इस अवसर पर उपस्थित सांसद डॉ. हेमंत सावरा ने सरकार को चेतावनी दी कि आदिवासी आरक्षण को कोई भी नहीं छीन पाएगा।
आदिवासी कार्यकर्ताओं, युवाओं और महिलाओं का बड़ी संख्या में भाग
पालघर, दहानू, विक्रमगढ़, जव्हार, वाडा और वसई (वसई रोड) तालुकाओं से हज़ारों आदिवासी कार्यकर्ताओं, युवाओं और महिलाओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया।विधायक राजेंद्र गावित ने स्पष्ट किया कि बंजारा समुदाय स्वयं को ब्राह्मण मानता है, इसलिए उन्हें आदिवासी आरक्षण में जगह नहीं दी जा सकती। पूर्व सांसद बलिराम जाधव ने चेतावनी दी कि अगला मार्च विधानसभा तक जाएगा।
डॉ. परहाद ने कहा कि आदिवासी आरक्षण 1860 से अस्तित्व में है, यह मुफ़्त में नहीं दिया गया, समुदाय ने इसके लिए खून बहाया है। उपस्थित लोगों ने निर्णय लिया कि यदि सरकार मांगों की अनदेखी करती है, तो अगला चरण मंत्रालय तक मार्च होगा। मार्च में 30 से अधिक आदिवासी संगठनों ने भाग लिया।
आदिवासी आरक्षण की रूपरेखा तय करने की मांग
मार्च की बैठक में आदिवासी आरक्षण की रूपरेखा तय करने की मांग की गई। गौरतलब है कि विधायक राजेंद्र गावित ने स्पष्ट किया कि बंजारा समुदाय स्वयं को ब्राह्मण मानता है, इसलिए उन्हें अनुसूचित जनजाति में जगह देना उचित नहीं है।
पूर्व सांसद बलिराम जाधव ने चेतावनी दी कि यदि सरकार मांगों की अनदेखी करती है, तो अगला मार्च विधानसभा तक जाएगा।
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