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प्रवासी मजदूरों के लिए खुशखबरी, अब नहीं बनवाना पड़ेगा मेडिकल सर्टिफिकेट


प्रवासी मजदूरों के लिए खुशखबरी, अब नहीं बनवाना पड़ेगा मेडिकल सर्टिफिकेट
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राज्य के मुख्य सचिव अजोय मेहता (ajoy mehta) ने गुरुवार को एक आदेश जारी किया है जिसके मुताबिक प्रवासी मजदूरों ( migrant labour) को अब पहले से खुद का मेडिकल सर्टिफिकेट (medical certificate)नहीं बनवाना पड़ेगा। अब यात्रा के समय ही प्रवाशी मजदूरों का मेडिकल टेस्ट होगा।

एक तरह से सरकार ने प्रवासी मजदूरों को यात्रा के लिए प्रवासी मजदूरों को डॉक्टर से प्रमाणपत्र लेने की अनिवार्यता खत्म कर राहत ही दी है।

सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि, अब प्रवासी मजदूरों की जांच मुफ्त में की जाएगी। इसके लिए मजदूरों को पैसा नहीं देना होगा। जांच के बाद सभी मजदूरों की एक साथ सूची बनेगी व्यक्तिगत रूप से किसी को मेडिकल सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं होगी।

आदेश के मुताबिक यात्रियों की मेडिकल स्क्रीनिंग अब एक साथ यात्रा से पहले होगी। अगर जो व्यक्ति किसी भी तरह के बुखार से पीड़ित नहीं पाया जाता है तो उसे ही यात्रा की अनुमति दी जाएगी।

इससे पहले सरकार ने को नियम लगाया था उसके अनुसार प्रवासियों को अपने फॉर्म के साथ साथ मेडिकल सर्टिफिकेट भी पुलिस स्टेशन में जमा कराना होता था।

जिसमें डॉक्टर यह प्रमाणित करता था कि आवेदन करने वाले व्यक्ति में किसी भी प्रकार के इन्फ्लूएंजा (बुखार) के लक्षण नहीं हैं।

सरकार के इस आदेश के बाद सर्टिफिकेट के लिए डॉक्टरों के पास प्रवासी मजदूरों की लंबी कतारें लगने लगीं। कई मजदूरों ने आरोप लगाया कि लॉकडाउन के चलते उनका कामकाज पहले से ही ठप और वे भुखमरी के कगार पर हैं। ऐसे मेंं डॉक्टर उनसे मोटी फीस वसूल कर रहे हैं।

हालांकि मिल रही शिकायत के बाद सरकार ने कुछ स्थानों पर मुफ्त जांच की व्यवस्था कराई तो वहां भारी भीड़ जमा हो गई और कोरोना फैलने का खतरा भी बढ़ गया। इन परेशानियों को देखते हुए राज्य सरकार ने आखिरकार मेडिकल प्रमाणपत्र की अनिवार्यता खत्म कर दिया।

आदेश में कहा गया है कि 1 मई को जारी आदेश की वह शर्त खत्म कर दी गई है जिसके मुताबिक यात्रा के लिए प्रवासी मजदूरों को रजिस्टर्ड डॉक्टरों से स्वास्थ्य प्रमाणपत्र लेना जरुरी था।

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