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मुंबई- BMC शहर में पहला पशु भस्मक यंत्र शुरू करेगी

जानवरों के लिए समर्पित चार मंजिला अस्पताल साल के अंत तक शुरू हो जाएगा

मुंबई- BMC शहर में पहला पशु भस्मक यंत्र शुरू करेगी
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चिकित्सा उपचार, पालतू जानवरों और आवारा जानवरों की सर्जरी के लिए एक सुसज्जित चार मंजिला अस्पताल वर्ष के अंत तक महालक्ष्मी धोबी घाट पर मुंबई नगर निगम के एक एकड़ भूखंड पर स्थापित किया जा रहा है। मृत पशुओं के लिए नगर निगम का पहला इंसीनरेटर इसी माह शुरू होने जा रहा है। (Mumbai BMC to start first animal incinerator in the city animal hospital by end of 2023)

जब पालतू जानवर और आवारा जानवर मर जाते हैं तो बड़ा सवाल यह होता है कि उनके शवों का निपटान कैसे किया जाए। नगर निगम ने जानवरों के शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए तीन स्थानों पर इंसीनरेटर शुरू करने का निर्णय लिया था।

17.5 करोड़ रुपये खर्च

ये भस्मक यंत्र शहर के महालक्ष्मी, पश्चिमी उपनगर के मलाड और पूर्वी उपनगर के देवनार में शुरू किए जाएंगे। इसके लिए नगर पालिका साढ़े सत्रह करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है। इनमें मलाड में पशु शवदाह गृह अगस्त 2023 में शुरू हो रहा है, पालतू कुत्तों, आवारा मृत कुत्तों, बिल्लियों, पक्षियों के लिए शवदाह गृह की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध होगी।

इसलिए, अब से लैंडफिल में जाने वाले जानवरों की लाशों का उचित तरीके से अंतिम संस्कार किया जाएगा। नगर निगम का 300 पशुओं की क्षमता वाला पहला पशु अस्पताल महालक्ष्मी स्थित आर्थर रोड जेल के पिछले भूखंड पर बनाया जा रहा है और इसका काम भी पूरा हो चुका है।

मुंबई नगर आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने कहा कि इस अस्पताल का निर्माण सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और मुंबई नगर निगम के सहयोग से "बनाओ, उपयोग करो" की तर्ज पर किया जा रहा है और इसका काम दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा। सर दोराबाजी टाटा ट्रस्ट को 2018 में इस अस्पताल को बनाने का ठेका दिया गया था।

परेल में जानवरों का एकमात्र अस्पताल

जानवरों के इलाज के लिए मुंबई के परेल में जानवरों का एकमात्र अस्पताल है। पिछले कुछ सालों में मुंबई में आवारा और घरेलू जानवरों कुत्तों की संख्या काफी बढ़ गई है। पशुओं की बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ गया है। वहीं, जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों की संख्या भी बढ़ी है। लेकिन मुंबई में नगर निगम का एक ही अस्पताल खार में है।

इसके अलावा पूरे स्थान पर लगभग 200 निजी क्लीनिक हैं। संभ्रांत परिवार अपने पालतू कुत्तों, जानवरों के लिए निजी क्लिनिक की दरें वहन कर सकते हैं। लेकिन गरीब परिवार अपने पालतू जानवरों का इलाज नहीं करा सकते। साथ ही छुट्टा, आवारा पशुओं को भी अपनी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए नगर निगम ने अपना पशु चिकित्सालय शुरू करने का निर्णय लिया था।

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