मुंबई के डब्बावालों को किसी पहचान की कोई जरुरत नहीं है। मुंबई के ये डब्बेवाले आज मुंबई की शान बन गये है। चाहे बारिश हो या तपती धूप, डब्बेवाले लोगों के टिफिन को समय पर लोगों के पास पहुंचाते है। और इन सब मे जो हमेशा डब्बेवालो के साथ खड़ी रही है वो रही उनकी साइकिल। ना जाने कितने डब्बों को बोझ ढोनेवाली साइकिल ने हमेशा डब्बेवालों का साथ दिया है। लेकिन अब यही सवारी धीरे धीरे बदली जा रही है। साइकिल जगह अब धीरे धीरे मोटरसाइकिल लेती जा रही है।
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होती है समय की बचत
दरअसल भागती दौड़ती मुंबई में समय का काफी महत्व है। जैसे जैसे दिन गुजरता जा रहा है वैसे वैसे मुंबई में जनसंख्या बढ़ती जा रही है और इसी के साथ बढ़ता जा रहा है टिफिनवालों का काम। भागती दौड़ती मुंबई में अपने आपको समय के साथ रखने और ज्यादा से ज्यादा लोगों के पास टिफिन पहुंचाने के लिए मुंबई के डब्बेवाले अब धीरे धीरे मोटरसाइकिल का रुख कर रहे है, जिससे ना ही सिर्फ उनके समय की बचत होती है बल्की वो एक बार में ज्यादा टिफिन भी ले जा सकते है।
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ऐसा नहीं है की डब्बेवालो ने साइकिल सा साथ छोड़ दिया है। अभी भी कई जगहों पर जाने के लिए डब्बेवाले साइकिल का ही इस्तेमाल करते है। लेकिन जैसे जैसे समय बीतता जाएगा, डब्बेवाले भी पूरी तरह से अपनी सवारी बदल सकते है।