Advertisement

ड्रेनेज सिस्टम है 140 साल पुराना, तो आधुनिक मुंबई कैसे बचेगी डूबने से?

अक्सर मानसून में जब हाई टाइड आता है तो समुद्र से जुड़े अधिकांश नालों में पानी भर जाता है, जिसके फलस्वरूप नालों में से पानी निकलना बंद हो जाता है।

ड्रेनेज सिस्टम है 140 साल पुराना, तो आधुनिक मुंबई कैसे बचेगी डूबने से?
SHARES

अक्सर बारिश का लुत्फ उठाने वाले मुंबईकरों ने साल 2005 में जुलाई महीने में हुई बारिश का रौद्ररूप मुंबईकरों ने पहली बार देखा था। उस दिन आसमान से बारिश नहीं पानी के रूप में कई लोगों की मौत बरसी थी। हालांकि उसके बाद से बरसात में मुंबई (mumbai rains) न डूबे इस बात और जोर दिया जाने लगा। और इसके लिए BMC हर साल करोड़ों रुपये खर्च करके मुंबई के छोटे बड़े सभी नालों की सफाई करती है, कीचड़ निकलवाती है, बावजूद इसके हर साल मानसून में मुंबई डूबने लगती है, जिसका खमियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है।

आखिर करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी मुंबई बारिश में क्यों हांफने लगती है। आखिर ऐसा क्या कारण है कि मुंबई में पानी भर जाता है। आइए डालते हैं इस पर एक नजर...

भौगोलिक कारण...

मुंबई एक टापू है, जिसके एक तरफ समुद्र ही है। मुंबई का सारा पानी समुद्र में ही जाता है। यहां पानी निकलने का रास्ता भूमिगत है। अक्सर मानसून में जब हाई टाइड (high tide in mumbai) आता है तो समुद्र से जुड़े अधिकांश नालों में पानी भर जाता है, जिसके फलस्वरूप नालों में से पानी निकलना बंद हो जाता है। और वही पानी सड़कों पर फैलने लगता है, जिससे बाढ़ की स्थिति बन जाती है।

पानी निकासी की पुरानी व्यवस्था

बताया जाता है कि मुंबई का ड्रेनेज सिस्टम (Water Drainage System mumbai) 140 साल पुराना है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पर्यावरणविद देबी गोयनका ने बताया, "अंग्रेजों द्वारा डिजाइन किए गए इस टापू रूपी शहर की जल निकासी प्रणाली (City Drainage System) 140 साल पुरानी है। उस समय जनसंख्या काफी कम थी, अधिकांश शहर हरा-भरा था। जल निकासी की व्यवस्था को यह देखते हुए डिजाइन की गई थी कि बारिश का 50 प्रतिशत पानी नालियों से होकर जाएगा और शेष भूजल में परिवर्तित हो जाएगा। अब मुंबई में काफी कम जमीन कच्ची है हर जगह पेवर ब्लॉक, पक्की सड़कें बन गई हैं, लेकिन भूमिगत जल निकासी व्यवस्था (Poor Drainage System) एक जैसी ही है।"

मुंबई में पिछले 80 वर्षों में बारिश की मात्रा अपरिवर्तित रही है। उस वक्त मुंबई में काफी संख्या में खुले स्थान थे, जनसंख्या कम थी। समुद्र के तट (Mumbai beach) काफी करीब थे, जंगल, पेड़-पौधे अधिक थे। इससे उस वक्त बारिश का पानी तेजी निकल जाता था, साथ ही काफी सारा पानी जमीन सोख लेती थी। लेकिन बाद में खुले स्थानों पर बढ़ते क्रंक्रीट के जंगल खड़े होते गए, समुद्रों, नदियों और दलदली भूमि को मिट्टी से पाट दिया गया। साथ ही खुले स्थान भी कम होते गए और पानी का परावर्तन उस तरह से बंद होने लगा, जैसा कि पहले हुआ करता था।

पत्रिका लिखता है कि, इस बारे में अर्बन प्लानर और अर्बन डिज़ाइन रिसर्च इंस्टीट्यूट (UDRI) के कार्यकारी निदेशक पंकज जोशी का कहना है कि, शहर को जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर अपनी योजना में बदलाव करने की ज़रूरत है। वे आगे कहते हैं कि, "कुछ अभी भी जलवायु परिवर्तन से इनकार कर रहे हैं। कुछ घंटों में भारी बारिश की यह घटना अक्सर हो रही है। हमारा तूफानी जल निकास नेटवर्क 25 मिमी से 50 मिमी प्रति घंटे तक जल निकासी कर सकता है, लेकिन जब पानी 150 या उससे ऊपर होने लगता है तब नालियां भरने लगती हैं। तब पानी निकालना लगभग असंभव हो जाता है। आपको तैयार रहने और जल्दी से यह समझने की आवश्यकता है कि हमारे शहर को इंजीनियरिंग की आवश्यकता है। अब हमें प्रबंधन के बजाय आपदा को रोकने पर काम करना चाहिए।"

उन्होंने कहा कि BMC की BRIMSTOWAD (बृहन्मुंबई स्टॉर्म वाटर ड्रेन सिस्टम) परियोजना 13 वर्षों से चल रही है। इसमें 58 काम शामिल थे, जिसमें भूमिगत नालियों का पुनर्वास और संवर्द्धन, नालों के चौड़ीकरण और गहरीकरण और पंपिंग स्टेशनों का निर्माण शामिल था। अब तक 1,200 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद नागरिक निकाय ने केवल 38 कार्य पूरे किए हैं।

बीएमसी के आंकड़ों के अनुसार इस शहर में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व (Population Density) है, इससे भी जल निकासी प्रभावित होती है। शहर का सबसे पुराना हिस्सा होने के कारण, इसे विकसित करने के लिए शायद ही कोई जगह है। हालांकि, पर्यावरण एक्टिविस्ट्स ने बताया कि तटीय सड़क के साथ-साथ पिछले कुछ वर्षों से चल रहे मेट्रो के निर्माण ने दक्षिण मुंबई के शहरी बुनियादी ढांचे को गति दी है।

2011 में प्रकाशित द जर्नल ऑफ क्लाइमेट चेंज द्वारा तैयार एक संयुक्त पेपर में कहा गया था कि मुंबई में ड्रेनेज सिस्टम को अपग्रेड करके, एक-सौ साल की बाढ़ की घटना से जुड़े नुकसान को 70 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

यह भी पढ़ें: इस मानसून मुंबई में पानी कम भरेगा - बीएमसी

संबंधित विषय
Advertisement
मुंबई लाइव की लेटेस्ट न्यूज़ को जानने के लिए अभी सब्सक्राइब करें