हर साल की तरह इस बार भी बप्पा का आगमन सड़कों के गड्ढों में हो रहा है। इस साल गणेशोत्सव 7 सितंबर से 16 सितंबर तक मनाया जाएगा। बड़े-बड़े मंडपों में भगवान गणेश का आगमन शुरू हो गया है। कांग्रेस ने हाल ही में आरोप लगाया था कि मुंबई की सड़कों पर 25 हजार से ज्यादा गड्ढे हैं। जबकि बीएमसी प्रशासन कह रहा है कि सड़कों के गड्ढे भरे जा रहे हैं। (Mumbai has become a city of potholes, 15000 potholes have appeared on the roads in 69 day)
सड़कों पर गड्ढे भरने के लिए बीएमसी 250 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। लेकिन बीएमसी के तमाम दावों के बावजूद मुंबई की सड़कों पर गड्ढे हैं जिन्हें भरा नहीं जा रहा है।सड़क विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि 1 जून से 8 जुलाई 2024 के बीच यानी 69 दिनों में मुंबई की सड़कों पर गड्ढों की कुल 14691 शिकायतें बीएमसी के पास आई हैं। बीएमसी को हर दिन गड्ढों की 213 शिकायतें मिलती हैं। इनमें से 1 हजार 428 गड्ढे भर दिये गये हैं।
'आयुक्त के आदेश के बाद भी नहीं भरे गए गड्ढे'
बीएमसी कमिश्नर भूषण गगरानी ने हाल ही में सड़क विभाग को गणेश आगमन और विसर्जन मार्ग पर विशेष ध्यान रखने और सड़क को गड्ढा मुक्त बनाने का निर्देश दिया था। सभी 25 वार्डों के सहायक आयुक्त, मुख्य अभियंता एवं अन्य अधिकारी विभिन्न सड़कों का निरीक्षण करें।
फिर भी गड्ढों को भरने पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सभी इंजीनियर सड़कों का ठीक से निरीक्षण नहीं करते। बीएमसी ने लापरवाही के आरोप में अब तक 22 इंजीनियरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
सबसे ज्यादा गड्ढे अंधेरी वेस्ट में
बीएमसी के आंकड़ों के मुताबिक, अंधेरी वेस्ट वार्ड में सबसे ज्यादा 819 गड्ढों की शिकायतें मिलीं। इसी तरह मालाड में 603 गड्ढे, धारावी, दादर और माहिम में 572 गड्ढे, पारल, शिवडी में 561 गड्ढे और कुर्ला, साकीनाका क्षेत्र में 520 गड्ढे मनपा के पास आए हैं।इसके अलावा बीएमसी को ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर गड्ढों की 3005 और वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर 3159 शिकायतें मिली हैं। बीएमसी का दावा है कि इनमें से ज्यादातर 24 घंटे के अंदर भर गए हैं।
पॉलिमर जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और बीएमसी कमिश्नर गगरानी लगातार मुंबई की सड़कों के गड्ढों को समय पर भरने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि इस काम के लिए जियो पॉलिमर जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही और ठेकेदारों की मिलीभगत के कारण गड्ढे नहीं भरे जाते हैं।
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