सैंडह्सट इलाके में 136 साल पूराने हैनकॉक ब्रिज को ध्वस्त कर दिया गया था। दावा किया गया था कि पुल असुरक्षित था। जब से पुल को ध्वस्त कर दिया गया तब से मजगांव और डोंगरी इलाके के लोगों को आनेजानेवाले में काफी तकलीफ होती थी। लोगों को रेलवे की पटरियों को पार करना था क्योंकि डोगरी-मजगांव के लिए कोई भी पूल नहीं था।
बॉन्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बीएमसी और रेलवे को आदेश दिया है की वो इस मामले पर जल्द से जल्द कोई हल निकाले और लोगों की परेशानी खत्म करें।
हैकॉक ब्रिज का इतिहास
हैनकॉक ब्रिज पहली बार ब्रिटिश युग के दौरान 1879 में बनाया गया था। इसका नाम कर्नल एच एफ हैनकॉक के नाम पर रखा गया था, जो उस समय के दौरान तत्कालीन बॉम्बे नगर निगम (वर्तमान में ग्रेटर मुंबई नगर निगम) के सदस्य थे। जिसके बागद इसे 1923 में फिर से बनाया गया।
2014 के बाद इस पूल को तोड़ने की योजना बनाई गई। मुंबई उपनगरीय रेलवे के मध्य लाईन को 1,500-वॉल्ट डीसी से 25,000-वाल्ट एसी तक रेल विद्युतीकरण के रूपांतरण की सुविधा प्रदान करने के लिए इस पूल को धव्स्त किया गया। नवंबर 2015 में हेनकॉक ब्रिज का विध्वंस शुरू हुआ और तब से पैदल यात्रियों के लिए पूल बंद कर दिया गया था।
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