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पाइप लाइन के किनारे बसे झोपड़ों को तोड़ने पर रोक लगाने से कोर्ट का इनकार


पाइप लाइन के किनारे बसे झोपड़ों को तोड़ने पर रोक लगाने से कोर्ट का इनकार
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक याचिका सुनावई करते हुए पाइपलाइन के आसपास बसे झोपड़ों को हटाने की बीएमसी की मुहिम पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट के अनुसार नयी याचिका पर सुनवाई होना है या नहीं इस पर अभी भ्रम की स्थिति है और कोर्ट के इस तरह के आदेशों का दुरुपयोग हो सकता है। इसके पहले हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 31 दिसंबर तक पाइप लाइन के आसपास बने सभी अवैध झोपड़ों को हटाया जाए।

बीएमसी कर रही है कार्रवाई

मुंबई को पानी सप्लाई करने वाली तानसा पाइप लाइन के आसपास बने अवैध झोपड़ों पर इस समय बीएमसी की कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। बीएमसी यह कार्रवाई 4 चरण में कर रही है। इस कार्रवाई में बीएमसी को कुल लगभग 16 हजार झोपड़े तोड़ने हैं जबकि अभी तक उसने लगभग 8 हजार झोपड़े तोड़ दिए हैं।

कांग्रेस विधायक नसीम खान ने दायर की याचिका

बीएमसी की इस कार्रवाई के विरोध में कांग्रेस विधायक नसीम खान ने दायर की थी। याचिका में नसीम खान ने आरोप लगाया गया था कि इन झोपडपट्टी के नागरिकों के पास सभी आवश्यक और वैध दस्तावेज हैं इसके बावजूद बीएमसी उन्हें यहां से हटा कर 25 किलोमीटर दूर बसाना चाहती है। नसीम खान ने यह तर्क दिया कि इस समय बच्चों की परीक्षाएं चल रही हैं, इसलिए इस तोड़क कार्रवाई को रोका जाए।

3 किमी के दायरे में किया जाए पुनर्वसन

नसीम खान की मांग थी कि अप्रैल 2018 तक सभी तरह की तोड़क कार्रवाई पर रोक लगाई जाए। नसीम खान की यह मांग थी कि जिन झोपडपट्टी वालों को हटाया जाए, उन्हें तीन किलोमीटर के दायरे में या फिर चेंबूर में पुनर्वसन कराया जाए। अब इस मामले में अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।

मुख्य न्यायाधीश ओक ने कहा कि बीएमसी की यह कार्रवाई उच्च न्यायालय के पहले के आदेश के अनुरूप है, जिसमें अवैध झोपडपट्टी को हटाने का आदेश दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि अदालत के इस आदेश से कोई परेशान है तो वह व्यक्तिगत रूप से राहत पाने के लिए गुहार लगा सकता है।




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