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BMC बनाएगा बाढ़ गेट

भारी बारिश के दौरान ज्वार आने पर नालियों के माध्यम से समुद्री जल शहर में प्रवेश करने के कारण मुंबई के निचले इलाकों में बाढ़ आ जाती है।

BMC बनाएगा बाढ़ गेट
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मुंबई में इस साल 26 मई को हुई भारी बारिश के कारण मंत्रालय और केईएम समेत कई नई जगहों पर बाढ़ आ गई। जब बारिश ज़्यादा होती है तो नालों के ज़रिए समुद्र का पानी शहर में घुसने के कारण मुंबई के निचले इलाकों में पानी भर जाता है। महाराष्ट्र टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई नगर निगम ने समुद्र के इस पानी को शहर में घुसने से रोकने के लिए 20 जगहों पर फ्लड गेट लगाने की योजना बनाई है। (Mumbai Municipal Corporation to build flood gates)

सर्वे के बाद जल्द ही इस काम के लिए टेंडर निकाला जाएगा। इसका फ़ायदा अगले साल मानसून के दौरान ज़रूर मिलेगा। मुंबई में इस साल 26 मई को हुई बारिश ने मुंबईकरों को हैरान कर दिया था। इस साल की बारिश के बाद नालों की सफ़ाई के बारे में मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा किए गए दावे खोखले साबित हुए। मुंबई के कई इलाकों में जलभराव के कारण लोगों को काफ़ी परेशानी हुई।

लोकल सेवाएं भी ठप हो गईं, जिससे मुंबईकरों की हालत और भी खराब हो गई। हाईवे और दूसरी सड़कों पर जलभराव के कारण कई जगहों पर ट्रैफ़िक जाम हो गया। मुंबई में कुछ ही घंटों में 250 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की गई, जिससे यह सिस्टम बेअसर हो गया। हिंदमाता, मिलन सब-वे, गांधी मार्केट जैसे इलाकों में हर साल भारी मात्रा में पानी जमा हो जाता है।

इसके अलावा मंत्रालय, मेट्रो क्षेत्र, केईएम अस्पताल, वर्ली नाका, जे.जे. फ्लाईओवर के नीचे और कोलाबा के कुछ इलाकों में पहली बार बाढ़ आई। पिछले साल 388 निचले इलाके थे, लेकिन 26 मई को हुई बारिश में 80 और निचले इलाके पानी में डूब गए। नगर निगम (बीएमसी) ने भी नए निचले इलाकों के कारण बाढ़ के कारणों की जांच शुरू कर दी है। कुछ प्रमुख कारण सामने आने के बाद नगर निगम ने मानसून के दौरान पानी की त्वरित निकासी सुनिश्चित करने के लिए वाटर-लिफ्टिंग पंपों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया।

हालांकि, इन उपायों को करते हुए नगर निगम ने बाढ़ द्वार लगाने का भी फैसला किया। नगर निगम ने करीब 20 जगहों पर बाढ़ द्वार लगाने की योजना बनाई है। इससे ज्वार के दौरान समुद्र का पानी शहर में प्रवेश नहीं कर पाएगा, ऐसा अतिरिक्त आयुक्त (परियोजना) अभिजीत बांगर ने बताया।


पिछले साल नगर निगम ने निचले इलाकों में रुके हुए पानी को बाहर निकालने के लिए 474 पंप लगाए थे। इस साल यह संख्या घटकर 414 रह गई। हालांकि 26 मई को हुई बारिश के बाद नगर निगम ने इसमें बढ़ोतरी कर दी है। इसके लिए नगर निगम के 24 वार्डों से यह जानकारी ली गई और उसके अनुसार पंपों की संख्या में 100 की बढ़ोतरी की गई है।

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