राज्य (महाराष्ट्र) की नई शिक्षा नीति में कक्षा एक से ही विद्यार्थियों के लिए तीसरी भाषा सीखना अनिवार्य कर दिया गया है। अगर वे हिंदी के अलावा कोई अन्य भाषा सीखना चाहते हैं, तो 20 विद्यार्थियों की मांग होनी चाहिए। इस निर्णय से कक्षा एक से ही हिंदी सीखना अनिवार्य होने की संभावना बन गई है।
इस रुख के कारण सरकार को राज्य के कई मराठी भाषी नागरिकों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इस पृष्ठभूमि में लेखक और कवि हेमंत दिवटे ने सरकारी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है, जबकि सचिन गोस्वामी और सांसद सुप्रिया सुले समेत अन्य ने सरकार के फैसले की आलोचना की है। नई शिक्षा नीति के अनुसार राज्य सरकार ने कक्षा एक से ही तीसरी भाषा सीखना अनिवार्य कर दिया है।
अगर हिंदी के अलावा कोई विकल्प चाहिए, तो कम से कम 20 विद्यार्थियों की मांग जरूरी है। इसलिए संभावना है कि हिंदी अप्रत्यक्ष रूप से अनिवार्य हो जाएगी। इस निर्णय का मराठी भाषा से प्रेम करने वाले लोग विरोध कर रहे हैं। मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने इस पर आक्रामक रुख अपनाया है। इसके बाद लेखक और कवि हेमंत दिवते ने इस फैसले के विरोध में महाराष्ट्र सरकार द्वारा दिया गया पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी।
हेमंत दिवते ने कहा, "मैं हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के फैसले के विरोध में अपने कविता संग्रह परानोइया के लिए मिला महाराष्ट्र सरकार का पुरस्कार लौटा रहा हूं। मैं अपना फैसला तभी वापस लूंगा जब सरकार अपना फैसला वापस लेगी।"
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