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ले दे कर काम चलाने में पुलिस विभाग टॉप पर

चौकानें वाली बात यह है कि करप्शन में अगर कोई कर्मचारी का नाम आता है तो उसे बचाने में उसके सीनियर अधिकारी भी जुट जाते हैं।

ले दे कर काम चलाने में पुलिस विभाग टॉप पर
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एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा जारी किये गये एक आंकड़े के मुतबिक रिश्वत लेने के मामले में पुलिस (Police) विभाग ने राजस्व विभाग (Revenue Department) को भी पीछे छोड़ दिया है। एक समय राजस्व विभाग रिश्वत लेने के मामले में सभी विभागों में टॉप पर था। एंटी करप्शन विभाग द्वारा इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पुलिस के पास रिश्वत लेने से जुड़े कुल 167 मामले आये जिसमें 247 पुलिस कर्मचारियों पर ही कार्रवाई की गयी।

राजस्व विभाग दूसरे नंबर पर  
विभाग की तरफ से यह जो रिपोर्ट जारी की गयी है वह इसी साल नवंबर महीने तक ही है। पिछले साल जब यह रिपोर्ट जारी की गयी थी उस समय राजस्व विभाग नंबर एक पर काबिज था, लेकिन इस साल जो रिपोर्ट पेश की गयी है उसके अनुसार राजस्व विभाग को पीछे छोड़ते हुए पुलिस विभाग नंबर एक पर जगह बना ली है।

रिश्वत की राशि भी सबसे अधिक
इस रिपोर्ट के अनुसार करप्शन के 165 मामले पुणे में दर्ज किये गये जो की सबसे अधिक हैं, जबकि मुंबई में मात्र 37 मामले से सामने आए जो कि सबसे कम हैं। जितने भी सरकारी विभाग हैं करप्शन के मामले में पुलिस सबसे आगे हैं। साथ ही इस विभाग में आरोपियों की संख्या के साथ-साथ रिश्वत की राशि भी सबसे अधिक दर्ज की गयी है।

मात्र नवंबर महीने में ही पुलिस विभाग में रिश्वत लेनदेन की राशि 52 लाख 85 हजार 50 रुपए रही जबकि राजस्व विभाग में 33 लाख 77 हजार 700 रुपए की राशि का लेनदेन हुआ।

निलंबन के बाद भी कार्यरत आरोपी  
चौकानें वाली बात यह है कि करप्शन में अगर कोई कर्मचारी का नाम आता है तो उसे बचाने में उसके सीनियर अधिकारी भी जुट जाते हैं। इसका पता इसी से चलता है कि जिन 195 आरोपियों पर अभी भी करप्शन का केस चल रहा है वे वर्तमान में भी अपने विभाग में कार्यरत हैं यानी उनका संबंधित विभाग से निलंबित ही नहीं किया गया है। ऐसे विभागों में ग्राम विकास विभाग पहले नंबर पर है। इस विभाग के 37 कर्मचारी निलंबन के बाद भी विभाग में काम कर रहे हैं। ग्राम विकास विभाग के बाद शिक्षा और खेल में 34, राजस्व विभाग में 26, पुलिस विभाग में 14 और आरोग्य विभाग में 10 कर्मचारी ऐसे हैं जो निलंबन के बाद भी कार्यरत हैं।

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