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पिछड़ा वर्ग सहकारी इमारत आवास के लिए पुनर्विकास नीति

पिछड़ा वर्ग सहकारी आवास समितियों के भवनों के निर्माण को लगभग 55 से 60 वर्ष बीत चुके हैं

पिछड़ा वर्ग सहकारी  इमारत आवास के लिए  पुनर्विकास नीति
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पिछड़ा वर्ग सहकारी आवास योजना के अंतर्गत पिछड़ा वर्ग के व्यक्तियों को आवास उपलब्ध कराने के लिए भवनों के पुनर्विकास नीति की घोषणा करने का निर्णय हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में लिया गया।  बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने की। (Redevelopment Policy for Backward Classes Cooperative Building Housing) 

पिछड़ा वर्ग सहकारी आवास समितियों के भवनों के निर्माण को लगभग 55 से 60 वर्ष बीत चुके हैं। अधिकांश भवन जर्जर व खतरनाक हो चुके हैं। ऐसे संस्थानों के भवनों का पुनर्विकास करना बहुत आवश्यक है। राज्य सरकार ने 1949 से 1969 और उसके बाद युद्धोत्तर पुनर्वास-219 योजना प्रारंभ की। इस योजना में पिछड़ा वर्ग सहकारी आवास समितियों को भूखण्ड आवंटित किये गये। इसके पीछे मंशा उन्हें मुंबई, पुणे, नासिक जैसे शहरी स्थानों में आश्रय देना और उनके लिए पक्के और आरामदायक घर बनवाना और उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाना था।

अब इस नई नीति के कारण ऐसे भवनों के पुनर्विकास संबंधी पूर्व सरकार के सभी निर्णय रद्द कर दिए गए हैं और नई नीति के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। ऐसी संस्थाओं में मूल सदस्यों की दृष्टि से पिछड़ा वर्ग का 90 प्रतिशत तथा पिछड़ा वर्ग का 10 प्रतिशत यथावत रहेगा, पुनर्विकास के बाद सृजित अतिरिक्त फ्लैटों में पिछड़ा वर्ग का अनुपात 20 प्रतिशत तथा पिछड़ा वर्ग का अनुपात 80 फिसदी  के समान रहेगा।

पुनर्विकास के लिए प्राप्त सभी प्रस्तावों को सामाजिक न्याय विभाग के अनुमोदन के लिए म्हाडा के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा।

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