पिछले कुछ दिनों से जारी प्री-मानसून बारिश से मीरा-भायंदर के नमक उत्पादन को भारी नुकसान पहुंचा है। इससे मुख्य मौसम के दौरान नमक उत्पादन में उल्लेखनीय गिरावट का पता चलता है। नमक उत्पादकों का कहना है कि इस वर्ष नमक उत्पादन में लगभग 66 प्रतिशत की कमी आई है। चूंकि मीरा-भायंदर शहर एक खाड़ी और समुद्र तट पर स्थित है, इसलिए यहां की भूमि खारी है। (Salt production declines in Mira-Bhayander)
नमक की बाजार मे मांग
यहां दशकों से नमक का उत्पादन किया जा रहा है। इतना ही नहीं, यहां के नमक की बाजार में और हर जगह बहुत मांग है। यहां मुख्य रूप से कूपा, वजनी और कर्कज प्रकार के नमक का उत्पादन होता है।इनमें से कुपा नमक का भोजन में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। जबकि, भारी नमक का उपयोग बर्फ कारखानों में किया जाता है, और सेंधा नमक का उपयोग रासायनिक और कपड़ा उद्योगों में किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप नमक उत्पादकों को महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ हुआ है।
नवंबर महिने के पास शुरु होती है नमक की खेती
नमक की खेती नवम्बर माह के आसपास शुरू होती है। इसमें आवश्यक सामग्री खरीदना और श्रम उपलब्ध कराना जैसे कार्य शामिल हैं।नवंबर से फरवरी के बीच कुल आय में नमक उत्पादन का योगदान 33 प्रतिशत होता है। नमक की खेती गर्मियों की शुरुआत के बाद 10 जून तक की जाती है। मई का महीना नमक उत्पादन के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो कुल नमक उत्पादन का लगभग 66 प्रतिशत है।
हालाँकि, इस वर्ष मई के आरंभ में बेमौसम बारिश हुई, जिससे नमक खदानों में नमक उत्पादन को नुकसान हुआ। उम्मीद थी कि इस बेमौसम बारिश के बाद नमक उत्पादन फिर से शुरू हो जाएगा।हालाँकि, लगातार बारिश के कारण नमक क्षेत्र में पानी जमा हो गया है। इसके कारण पीक सीजन के दौरान नमक भंडारों को बंद करने की शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है।
इससे नमक उत्पादकों को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है और भविष्य में नमक की कीमतें बढ़ने की आशंका है।
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