साल 2013 में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के पास अंजुमन-ए-इस्लाम में शरिया अदालत की स्थापना के बाद अब मुंबई से सटे ठाणे के मीरा रोड में शनिवार को एक और दारुल कजा या शरिया अदालत का उद्घाटन किया गया। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) द्वारा स्थापित अदालत, मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में दूसरा है।
क्या है शरिया अदालत का कार्य
शरिया अदालत मुस्लिम समुदाय में नागरिक और वैवाहिक विवाद सुलझाती है, जहां एआईएमपीएलएल द्वारा नियुक्त क़ाजिस (न्यायाधीश) विवादों को सुनते हैं। मालेगांव, हैदराबाद और पटना में समान न्यायालय मौजूद हैं। न्यायपालिका पर पहले से ही अलग अलग केसों का अत्यधिक बोझ है। जब कोई व्यक्ति व्यक्तिगत मामला लेकर अदालत चलाता है, जिसमें आमतौर पर विवाह, तलाक और विरासत शामिल होता है, तो उन्हें आदेश पारित होने के कई सालों से इंतजार करना पड़ता है। ऐसी परिस्थितियों में, शरिया अदालत इस मुद्दे को सौहार्दपूर्वक सुलझाने में सहायता कर सकती है।
अब गुगल पर जानियें कहां है सार्वजनिक शौचालय!
अदालत का भी रास्ता खुला
जब कोई व्यक्ति विवाद के साथ शरिया अदालत के पास जाता है, तो दोनों पार्टियों को अदालत में अपने पक्ष पेश करने की आवश्यकता होती है। लेकिन, अगर उनमें से एक नागरिक अदालत यानी की मजिस्ट्रेट कोर्ट या उससे उपर की कोर्ट में में जाने का फैसला करता है, तो शरिया अदालत के लिए मामला वापस लेना होगा।
बायो मेडिकल वेस्ट पैदा करने में महाराष्ट्र नंबर एक पायदान पर !
न्यायपालिका द्वारा शरिया अदालतों का फैसला स्वीकार नहीं
शरिया अदालतें अवैध नहीं हैं, लेकिन न्यायपालिका द्वारा उनके फैसले को स्वीकार नहीं किया जाता है। इसके अलावा, इन अदालतों द्वारा प्रस्तुत तथ्यों को एक नागरिक या वैवाहिक न्यायालय में पेश किया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति व्यक्तिगत विवाद को हल करना चाहता है, तो वे ऐसे न्यायालयों से संपर्क कर सकते हैं। लेकिन, तलाक लेने के लिए कानून का पालन करना होता है।