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आवारा मानसिक रोगियों के चेहरे पर 'स्माइल' लाता 'स्माइल प्लस फाउंडेशन'

अब तक मालखरे ने मुंबई सहित महाराष्ट्र भर से 700 से अधिक 700 मानसिक रोगियों को जो सड़कों पर लावारिस भटक रहे थे कोर्ट के जरिए अस्पताल में दाखिल कराया ताकि उनका समुचित इलाज हो सके।

आवारा मानसिक रोगियों के चेहरे पर 'स्माइल' लाता 'स्माइल प्लस फाउंडेशन'
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भारत में भले ही कई कानून बन जाएं लेकिन अभी तक सड़क पर भटकते मानसिक रोगियों के लिए कोई भी कानून नहीं बना है। ऐसे लोगों को अभी तक कोई अधिकार नहीं दिया गया है। लेकिन इस जहां में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सरकार का काम खुद के जिम्मे करते हैं, इन्ही में से एक हैं योगेश मालखारे। योगेश मालखरे 'स्माइल प्लस फाउंडेशन' नामसे एक एनजीओ चलाते हैं जो आवारा भटकते मानसिक रोगियों को अस्पतालों में दाखिल करा कर उनका इलाज करवाते हैं। अब तक मालखरे ने मुंबई सहित महाराष्ट्र भर से 700 से अधिक 700 मानसिक रोगियों को जो सड़कों पर लावारिस भटक रहे थे कोर्ट के जरिए अस्पताल में दाखिल कराया ताकि उनका समुचित इलाज हो सके।

इस बारे में 'स्माइल प्लस फाउंडेशन' के अध्यक्ष योगेश मालखरे बताते हैं कि हमारा एनजीओ 'स्माइल प्लस फाउंडेशन' मुंबई सहित महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में खोला गया है। इस एनजीओ से कई लोग जुड़े हैं जो अपने सेवा निशुल्क देते हैं।

वे कहते हैं कि हमने एक टोल फ्री हेल्प लाइन नंबर जारी किया है। इस नंबर पर हमें सड़कों पर भटकते जो भी आवारा मानसिक रोगियों की सूचना मिलती है हम उस शहर में मौजूद संस्था के वालंटियर की मदद से मिनटों में उस मरीज तक पहुंच कर उसे अपनी देखरेख में ले लेते हैं।

योगेश कहते हैं कि हमें ही पुलिस स्टेशन से लेकर कोर्ट तक की पूरी कार्रवाई करनी पड़ती है ताकि हम बिना किसी आने वाली संभावित परेशानी के बगैर मरीज का इलाज कर सके और उसे एक बेहतर आदमी बना सके। वे आगे कहते हैं कि मरीज का 3 से 4 महीने इलाज होता है और जब वह ठीक-ठाक स्थिति में आ जाता है तो हम उसके घर वालों को ढूँढना शुरू कर देते हैं। 

योगेश के मुताबिक सोशल मीडिया माध्यम से भी आज करोड़ो लोग हमसे जुड़ चुके हैं और हमारी मदद करते हैं। सिस्टम से लाचार और परेशान योगेश कहते हैं कि यह जिम्मेदारी सिस्टम की है लेकिन सिस्टम ही लापरवाह बना हुआ है। ये लोग भी इंसान है जो कि बीमार हैं, तो क्या उन्हें ऐसे ही छोड़ दिया जाए?

योगेश के अनुसार  यह समस्या धीरे-धीरे विकराल होती जा रही है। घरवाले भी पीड़ित को सड़कों पर भटकने के लिए छोड़ दे रहे हैं क्योंकि उन्हें यही लगता है कि अब वह कभी ठीक नहीं होगा। इसीलिए इस काम में सभी को साथ में आना होगा ताकि एक अच्छे समाज का निर्माण और निर्वहन हो सके।

पढ़ें: लावारिस और बेसहारा बुजुर्गों के चेहरे पर स्माइल लाती 'स्माइल प्लस फाउंडेशन'

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