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अनुदानित प्राइवेट अस्पतालों के 80 फीसदी बेड सरकार के कब्जे में

सरकार ने आपदा निवारण अधिनियम भी लागू किया है। इसलिए नियम न मानने वाले निजी अस्पतालों के खिलाफ गैर-जमानती अपराध दायर किए जा सकते हैं।

अनुदानित प्राइवेट अस्पतालों के 80 फीसदी बेड सरकार के कब्जे में
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कोरोना वायरस (Coronavirus) के लगातार बढ़ते हुए असर को देखते हुए सरकार ने निर्णय लिया है कि राज्य सरकार (state government) द्वारा सभी अनुदानित सभी प्राइवेट अस्पतालों (private hospital) के 80 फीसदी बेडो को वह अपने कब्जे में लेगी। सरकार की तरफ से इस बारे में कलेक्टर, BMC कमिश्नर और राज्य स्वास्थ्य गारंटी सोसायटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को इस संबंध में कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है।  इस बीच, अस्पतालों को 20 प्रतिशत बेड के लिए शुल्क लगाने का अधिकार भी दिया गया है।

कोरोना महामारी (Covid-19 pendamic) के बीच सरकार को प्राइवेट अस्पतालों द्वारा मरीजों से बिल के रूप में बेतहाशा लूट मचाने संबंधी कई शिकायतें मिल रही थीं। इन शिकायतों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया। इसके अलावा, राज्य सरकार ने उपचार की लागत पर एक सीमा भी निर्धारित कर दी है।

कोरोना के मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। BMC और राज्य सरकार के अस्पतालों में क्षमता से अधिक मरीजों का इलाज चल रहा है, तो कई अस्पतालों द्वारा सेवा बंद करने की भी खबर सामने आई, तो कई मनमाने ढंग से फीस वसूलने में लगे हैं।

इसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने इसे गंभीरता से लिया और 31 अगस्त तक निजी अस्पतालों में 80 प्रतिशत से अधिक बेड लेने का फैसला किया।

राज्य स्वास्थ्य गारंटी सोसायटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधाकर शिंदे ने कहा कि अस्पताल को सरकारी नियंत्रण में लाने के अलावा, इन अस्पतालों में आवश्यक सेवा अधिनियम (MESMA) भी लागू किया जाएगा।  नतीजतन, निजी अस्पतालों में डॉक्टर, नर्स और अन्य कर्मचारियों को सेवाएं प्रदान करने की आवश्यकता होगी।

इसके अलावा सरकार ने आपदा निवारण अधिनियम भी लागू किया है। इसलिए नियम न मानने वाले निजी अस्पतालों के खिलाफ गैर-जमानती अपराध दायर किए जा सकते हैं।

यही नहीं सरकार ने चिकित्सा उपचार की लागत को नियंत्रित करने के लिए फीस पर भी प्रतिबंध लगाया है।  जिसके मुताबिक एक वार्ड या फिर एक अलग से बेड के लिए एक दिन के लिए 4,000 रुपये शुल्क के रूप में अस्पताल चार्ज कर सकते हैं। इसके अलावा वेंटीलेटर के बिना आईसीयू बेड के लिए 7,500 रुपये और वेंटीलेटर के साथ आईसीयू बेड के लिए 9,000 रुपये का शुल्क लिया जाएगा।

राज्य सरकार ने 270 अन्य इलाज और सर्जरी के लिए भी दरें निर्धारित की हैं। इसमें कैंसर का इलाज भी शामिल है।  इसमें डॉक्टर की फीस भी शामिल होगी।  यदि अस्पताल तैयार है, तो डॉक्टर को अतिरिक्त राशि का भुगतान कर सकता है।

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