शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी)की धारा-497की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है। आईपीसी की इस धारा के तहत अगर कोई गैर मर्द (पति के अलावा)किसी विवाहिता के साथ संबंध बनाता है तो उसके(मर्द)खिलाफमामला दर्ज किया जाता है जबकी विवाहिता महिला को छोड़ दिया जाता है।
दूसरे धर्म में शादी करने के बाद भी नहीं बदलता महिला का धर्म- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 150 साल पुराने इस कानून के प्रावधान की समीक्षा करने का फैसला लिया है। कोर्ट का कहना है आईपीसी की ये धारा महिला और पुरुष को समान नजर से नहीं देखता। साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा है की आपराधिक कानून पुरुष और महिलाओं के लिए बराबर है,लेकिन आईपीसी की धारा-497में इस सिद्धांत का पालन होता नहीं दिख रहा है।
याचिकाकर्ता जोसेफ शाइन ने इस मामले में एक याचिका कोर्ट में दायर की थी। IPCकी धारा 497एक विवाहित महिला को सरंक्षण देता है भले ही उसके दूसरे पुरुष से शादी के बाद संबंध बने हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो इस प्रावधान की वैधता पर सुनवाई करेगा। अदालत ने केंद्र सरकार को मामले में जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है।