Advertisement

प्रोजेक्ट के लिए अलग वेब पेज बिल्डर्स के लिए अनिवार्य


प्रोजेक्ट के लिए अलग वेब पेज बिल्डर्स के लिए अनिवार्य
SHARES

1 मई 2017 के बाद से 'रियल एस्टेट विनियामक अधिनियम' या 'रेरा' अधिनियम लागू हुआ है। इस कानून के प्रावधानों के अनुसार वर्तमान समय में निर्माणाधीन परियोजनाएं या जल्द ही शुरु होनेवाली नई परियोजनाओ को पंजीकरण कराना होगा और साथ ही 120 दिनों से लेकर तीन महीने के अंदर एक वेब पेज बनाना होगा। इसके साथ ही परियोजना के मालिकों को प्राधिकरण को प्रोजेक्ट से जुड़े सारे दस्तावेज देने होंगे। इसके साथ ही बिल्डर्स को हर हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए एक अलग से वेब पेज बनाना होगा।

प्राधिकरण का मानना है कि बिल्डर्स के पास हर क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं। इसलिए बिल्डरों के लिए एक अलग वेबसाइट बनाना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन छोटे बिल्डरों पर इसकी मार पड़ सकती है। क्योंकि छोटे बिल्डर तकनीक में उतने माहिर नहीं होते लिहाजा उन्हें किसी ऐसे विशषज्ञों को ढूढने के लिए समय और पैसा देना होगा।

क्या है प्रक्रिया-

बिल्डर को एक विशेष पंजीकरण नंबर दिया जाएगा।

इस पंजीकरण संख्या के आधार पर, बिल्डर को संबंधित परियोजना के लिए एक अलग वेब पेज बनाना होगा।

इस वेबपेज पर संपूर्ण प्रोजेक्ट की जानकारी होगी, जैसे स्वीकृति, लाइसेंस, किराये का क्षेत्र, उनकी कीमत सहित कई अन्य जानकारियां।

हालांकि बिल्डर्स पहले से ही अपने प्रोजेक्ट के लिए वेबपेज बनाते हैं लेकिन हर प्रोजेक्ट के लिए अलग से वेबपेज बनाने के उन्हे काफी मशक्त करनी पड़ेगी।

धन धरी डेवलपर्स के प्रबंध निदेशक श्री शंकरराव बोरकर का कहना है कि रेरा के नियमों का पालन करते हुए छोटे बिल्डरों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पहली कठिनाई परियोजना के वेब पेज को स्वयं बनाना है क्योंकि छोटे बिल्डरों को आईटी विशेषज्ञ प्राप्त करने के लिए पैसे और समय दोनों खर्च करने पड़ेंगे और दूसरी कई बार एक ही नाम से शहर में कई प्रोजेक्ट शुरु होते हैं जिसके कारण हर वेबपेज को अलग नाम देना काफी मुश्किल होगा।

बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सदस्य आनंद गुप्ता ने डेवलपर्स के सामने आने वाली कठिनाइयों के बारे में बताया। उनका कहना है कि प्राधिकरण का ये कदम बिल्कुल सही है। बिल्डरों को एस वेब पेज बनाने के लिए 5 दिन का समय लगता है और तीन महीनों के समय में कोई भी बिल्डर ये काम आसानी से कर सकता है।


क्या होता है डोमेन नाम-
इंटरनेट की दुनिया में किसी भी वेबसाइट के लिए एक एड्रेस निर्धारित होता है। शुरूआती दौर में इसे आईपी एड्रेस कहा जाता था। लेकिन भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए डोमेन नाम प्रणाली को बनाया गया। जब भी कोई वेबसाइट इंटरनेट पर रखी जाती है तो उसे एक आई. पी. एड्रेस दिया जाता है जो अंकों में होता है, जैसे- 233.222.111.102। जब हम अपने इंटरनेट ब्राउजर में किसी वेबसाइट का डोमेन नेम डालते हैं तो डोमेन नेम सर्वर पर उसे आई. पी. एड्रेस में परिवर्तित कर दिया जाता है और हम संबंधित वेबसाइट तक पहुंच जाते हैं। आई. पी. एड्रेस की तुलना में डोमेन नाम को याद रखना बहुत आसान है।

इंटरनेट कारपोरेशन फॉर असाइन्ड नेम्स एंड नंबर्स (ICANN) एक अमेरिकी संस्था है जो दुनिया भर के डोमेन्स को मैनेज करती है | अगर आप अपनी वेबसाइट के लिए या ब्लॉग के लिए कोई कस्टम डोमेन लेना चाहते हैं तो आपको ICANN से सर्टिफाइड किसी भी डोमेन नाम रजिस्ट्रेशन अपना डोमेन रजिस्टर करना होता है |

डाउनलोड करें Mumbai live APP और रहें हर छोटी बड़ी खबर से अपडेट।

मुंबई से जुड़ी हर खबर की ताज़ा अपडेट पाने के लिए Mumbai live के फ़ेसबुक पेज को लाइक करें।

(नीचे दिए गये कमेंट बॉक्स में जाकर स्टोरी पर अपनी प्रतिक्रिया दे) 

Read this story in English or मराठी
संबंधित विषय
Advertisement
मुंबई लाइव की लेटेस्ट न्यूज़ को जानने के लिए अभी सब्सक्राइब करें