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जब कोर्ट ने रेलवे से पूछा, 'क्यों न इसे प्राइवेट हाथों में सौंप दिया जाएं'


जब कोर्ट ने रेलवे से पूछा, 'क्यों न इसे प्राइवेट हाथों में सौंप दिया जाएं'
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हर साल बारिश के आगे बेबस नजर आने वाली बीएमसी और रेलवे को बॉम्बे हाई कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। मुंबई की सड़कों सहित रेलवे की पटरियों पर हर बारिश में पानी भर जाती हैं और आम लोगों को काफी दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है। इसे देखते हुए नाराज कोर्ट ने दोनों विभागों को कड़ी फटकार लगाई, रेलवे से कोर्ट ने सवाल किया कि बाढ़ से बचने के लिए रेलवे ट्रैक की ऊंचाई क्यों नहीं बढ़ाई गयी?


क्या कहा कोर्ट ने?

रेलवे को झाड़ते हुए कोर्ट ने पूछा कि जब रेलवे को यह अच्छी तरह से पता है कि नीचले इलाको में हर बारिश में जब पानी भर जाता है तो ट्रैक की ऊंचाई क्यों नहीं बढ़ाई गयी?  कोर्ट ने कहा कि मुंबई की लोकल सेवा के लिए अलग से रेलवे बोर्ड क्यों नहीं बनाया जाता, क्यों हर बार दिल्ली बोर्ड से इजाजत मांगने की जरूरत पड़ती है? यही नहीं कोर्ट ने रेलवे से यह भी पूछा कि आखिर क्यों ने इस काम को प्राइवेट हाथों में सौंप दिया जाये?

लगातार बारिश के बाद जलभराव को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीएमसी को भी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा क्यों बीएमसी बारिश के लिए तैयारी नहीं करती है?

दायर की गयी है याचिका 
आपको बता दें कि दिव्यांगों के लिए रेलवे की तरफ से कोई विशेष सुविधा उपलब्ध नहीं किये जाने बाबत 'इंडिया सेंटर फॉर ह्यूमन राइटर्स एंड लॉ' की तरफ से एक जनहित याचिका दाखिल की गयी थी, इसी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने रेलवे और बीएमसी की क्लास ले ली। अब इस मामले में दो सप्ताह बाद फिर से सुनवाई होगी।

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