बॉम्बे हाई कोर्ट ( bombay high court) ने हाल ही में एक 22 वर्षीय व्यक्ति को जमानत दे दी जिसे पिछले साल 15 वर्षीय लड़की के साथ कथित रूप से बलात्कार ( pocso) करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था अदालत ने यह देखते हुए आरोपी को राहत दी कि दोनों एक रिश्ते में थे और पीड़िता जो की नाबालिग थी अपने कृत्य के परिणामों को समझने में सक्षम थी।
आरोपी के खिलाफ आरोप यह था कि वो पीड़िता को अपनी मौसी के घर ले गया और घटना के बारे में किसी को नहीं बताने की धमकी देने से पहले उसके साथ बलात्कार किया।
"पीड़िता नाबालिग होने के बावजूद अपने कृत्य के परिणामों को समझने में सक्षम"
न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने पाया कि पीड़िता के बयान के मुताबिक वह स्वेच्छा से आरोपी के साथ उसकी मौसी के यहां गई थी। अदालत ने कहा, "चार्जशीट में संकलित सामग्री के समग्र दृष्टिकोण को देखते हुए, ऐसा लगता है की पीड़िता नाबालिग होने के बावजूद अपने कृत्य के परिणामों को समझने में सक्षम थी और वह स्वेच्छा से आवेदक के साथ अपनी मौसी के घर गई थी।"
न्यायालय ने कहा कि यद्यपि उसकी सहमति महत्वहीन थी फिर भी यह देखते हुए कि वह नाबालिग थी, ऐसे मामले में जहां वह स्वेच्छा से आरोपी के साथ गई और स्वीकार किया कि वह उसके साथ प्यार में थी, चाहे वह संभोग के लिए सहमत हो या नहीं, यह साक्ष्य का विषय होगा। कोर्ट ने कहा की "किस समय तक वह आवेदक के साथ रही और क्या उसने वास्तविक शारीरिक भोग का विरोध किया, जब उसके अनुसार, आरोपी ने उसकी इच्छा के विरुद्ध उसके साथ जबरन संभोग किया, यह निर्धारित करना होगा।"
इसके अलावा, अदालत ने कहा कि घटना और जब लड़की द्वारा अपने परिवार को इसके बारे में बताया गया था, के बीच का समय अंतराल महत्वपूर्ण था क्योकी पिड़िता चाहती तो तुरंत इस बारे में अपनी आंटी को बता सकती थी।
"इन दोनों घटनाओं के बीच का समय अंतराल भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पीड़िता के लिए यह हमेशा खुला था कि वह अपने घर में किए गए जबरन कार्य के बारे में चाची को बताए, लेकिन वह चुप रही और घटना का खुलासा तभी किया जब आरोपी के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए आपत्ति दर्ज की गई "
अदालत ने लगाई शर्ते
आरोपी को जमानत देते हुए कोर्ट ने कई शर्ते भी लगाई है। आरोपी किसी भी तरह से पीड़िता से संपर्क स्थापित नहीं करेगा और पीड़िता के रहने वाले क्षेत्र से परिवार के साथ खुद को स्थानांतरित करेगा और किसी भी तरह से पीड़िता से शारीरिक रूप से या वर्चुअल संपर्क स्थापित करने का प्रयास नहीं करेगा।
अदालत ने आरोपी को 25,000 रुपये के पीआर बॉन्ड और इतनी ही राशि के एक या दो जमानतदारों के साथ जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया।
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