नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना और पैंट की चैन खोलना पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न नहीं : बॉम्बे हाई कोर्ट

अदालत ने कहा है कि, नाबालिग बच्ची का हाथ पकड़ना और पैंट की जिप खोलना पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न के दायरे में नहीं आता। अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि, यौन उत्पीड़न का यह मामला आईपीसी की धारा 354ए के तहत आएगा।

नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना और पैंट की चैन खोलना पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न नहीं : बॉम्बे हाई कोर्ट
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बॉम्बे हाई कोर्ट (bombay high court) एक के बाद एक अचंभित कर देने वाला फैसला सुना रहा है। अब कोर्ट ने एक ओर फैसला सुनाया है जिसे लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है। दरअसल, अदालत ने कहा है कि, नाबालिग बच्ची का हाथ पकड़ना और पैंट की जिप खोलना पॉक्सो अधिनियम (pocso act) के तहत यौन उत्पीड़न के दायरे में नहीं आता। अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि, यौन उत्पीड़न का यह मामला आईपीसी की धारा 354ए के तहत आएगा।

बता दें कि इसके पहले भी बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने एक फैसला सुनाया था, जिसे लेकर काफी हैरानी जताई गई थी। कोर्ट ने कहा था कि, कपड़े के ऊपर से किसी लड़की या महिला का स्तन छूना या दबाना, यौन उत्पीड़न के तहत नहीं आएगा, जब तक त्वचा से त्वचा का स्पर्श न हो। हालांकि बाद में इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी।

जानकारी के मुताबिक, अदालत में एक 12 साल की बच्ची के साथ हुई छेड़छाड़ के मामले में सुनवाई चल रही थी। इस मामले में बच्ची की मां ने बताया कि उसने 50 वर्षीय आरोपी को देखा था। आरोपी की पैंट की जिप उस समय खुली हुई थी और उसने बच्ची का हाथ पकड़ रखा था। महिला के मुताबिक, उसकी बेटी ने बताया था कि आरोपी ने अपना प्राइवेट पार्ट निकाला था और लड़की को छूने और बिस्तर पर लेटने के लिए कह रहा था।

बता दें कि यह मामला नागपुर (nagpur) का है। इस मामले में पहले से ही नागपुर की स्थानीय अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराया है, और उसे पॉक्सो अधिनियम की धारा 10 के तहत इसे दंडनीय यौन उत्पीड़न माना हैै। कोर्ट ने दोषी को छह महीने के साधारण कारावास के साथ पांच साल की कठोर सजा सुनाई है, साथ में 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

इसके बाद दोषी पक्ष ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ में इस फैसले को चुनौती दी थी। जिस पर आज सुनवाई चल रही थी।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लाइव लॉ के अनुसार, बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच की न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना और पैंट की जिप खोलना पॉक्सो अधिनियम 2012 यानी यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा के तहत यौन शोषण की परिभाषा में नहीं आएगा। अदालत ने आगे कहा, आईपीसी की धारा 354-ए (1) (i) के तहत ऐसा करना 'यौन उत्पीड़न' के दायरे में आता है। एकल पीठ ने इस मामले में पॉक्सो अधिनियम की धारा 8, 10 और 12 को उपयुक्त नहीं माना और आरोपी को धारा 354A (1) (i) के तहत दोषी ठहराया, जिसमें अधिकतम तीन साल की कैद की सजा का प्रावधान है। अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी ने पांच महीने जेल काट ली है, जो इस अपराध के लिए पर्याप्त है। 

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