जैसे जैसे लोग डीजीटल बैंकिंग का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करते जा रहे है वैसे वैसे इससे जुड़ी शिकायतेम भी मुंबई पुलिस के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। पिछलें सालों साईबर क्राइम से जुड़े मामलों में काफी बढ़ोत्तरी हुई है तो वही कार्ड क्लोनिंग यानी की नकली क्रेडिट या डेबिट कार्ड से जुड़ी शिकायतें भी पुलिस ने लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है। मुंबई पुलिस डेबिट और क्रेडिट कार्ड क्लोनिंग के माध्यम से होनेवाली लुट पर लगाम लगाने पर कुछ खास कामयाब नहीं हुई है।
एक आकड़े के मुताबिक मुंबई में लगभग हर दिन 60 से 70 लोगों कार्ड क्लोनिंग जैसे घटनाओं के शिकार होते है। इसके साथ ही ऐसे मामलों से जुड़ी शिकायतों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। क ओर जहां सरकार ऑनलाइन लेनदेन पर जोर दे रही है, वहीं दूसरी ओर, सरकार नागरिकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने के लिए उदासीन दिख रही है।
कैसे होती है कार्ड की क्लोनिंग
क्रेडिट और डेबिट कार्ड क्लोनिंग
पुलिस के लिए दिन-ब-दिन सिरदर्द बनते जा रहे हैं। क्लोनिंग करते समय
आरोपियों के पास एक नयी तकनीक होती है। पुलिस ने दिल्ली से एक ऐसे ही
आरोपी को गिरफ्तार किया है जिसकी जांच में पता चला है की कार्ड क्लोनिंग के
लिए एक बड़ा रैके काम करता है। दरअसल नया खाता खोलने के बाद बैंक के पास
डेबिट कार्ड या फिर क्रेडिट कार्ड की पूरी जानकारी होती है। बैंक इन सभी
जानकारियों का जल्द से जल्द सिस्टम में अपडेट और एंट्री करने के लिए बैंक
इसे किसी तीसरी पार्टी के रुप में काम रही कॉल सेंटर को दे देते है।
आरोपियों को इन्ही कॉल सेंटर से कुछ पैसे देने के बाद उन्हे कॉल सेंटर से
अवैध रुप से कार्ड की जानकारी मिल जाती है।
कार्ड की जानकारी मिलने के बाद साईबर क्रिमिनल ग्राहक को फोन कर पहले तो उसे विश्वास दिलाते है की वह बैंक से बोल रहे है और फिर उनसे कार्ड का ओटीपी लेकर इस धोखाधड़ी को अंजाम देते है। ज्यादातर पीड़ित बुजुर्ग और गृहिणी हैं
क्लोनिंग पुलिस के लिए सिरदर्द
मुंबई के अलग अलग पुलिस स्टेशन में इस
महिने क्लोनिंग से जुड़े 200 से 300 शिकायत दर्ज हुई। एक अनुमान के
मुताबिक साल भर में ऐसे शिकायतों की संख्या और भी बढ़ जाती है। 2017 में,
डेबिट और क्रेडिट कार्ड के 400 अपराध दर्ज किए गए थे। 2018 में 461
अपराधों का रिकॉर्ड है।
कैसे बचाएं अपने कार्ड को
साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए नागरिकों की सतर्कता का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। डेबिट या क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते समय खुद उपस्थित होना आवश्यक है। यदि एटीएम में किसी अन्य व्यक्तियों के माध्यम से पैसे निकाले जाते है तो इसमें खतरा हो सकता है। इसके अलावा, ऑनलाइन पैसा देते समय कार्ड की जानकारी देने से बचें, साइबर क्लोनिंग को रोकना संभव है।
पुलिस की अपील
1) अपने क्रेडिट कार्ड, उसका नंबर, पिन नंबर की जानकारी कभी भी दोस्तों और रिश्तेदारों को फोन पर न बताएं।
2) किसी भी फोन से कार्ड के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी न दे, अगर कोई पूछता है, तो सीधे बैंक से संपर्क करें।
3) स्वाइपिंग कार्ड के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली मशीन की जाँच करें। देखें कि क्या इसके पास अतिरिक्त मशीन या रीडर नहीं है।
4) होटल में कार्ड स्वाइप करने के लिए कभी दूसरे की सहायता न ले , खुद स्वाइप करें।
किस साल कितने कार्ड क्लोनिंग के मामले दर्ज
साल | दर्ज मामले |
2019 | 126(मार्च तक) |
2018 | 461 |
2017 | 400 |
2016 | 257 |
2015 | 320 |
2014 | 183 |