महाराष्ट्र- राज्य में पिछले तीन वर्षों में 15,000 से अधिक बाल विवाह

पिछले तीन वर्षों में राज्य में 15,253 बाल विवाह हुए हैं, जिनमें से केवल 10 प्रतिशत को ही सरकार ने रोका है

महाराष्ट्र-  राज्य में पिछले तीन वर्षों में 15,000 से अधिक बाल विवाह
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राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में पिछले तीन वर्षों में 15,000 से अधिक बाल (child marriage in Maharashtra)  विवाह हुए हैं, जिनमें से केवल 10 प्रतिशत या 1,541 बाल विवाह रोके गए हैं। राज्य सरकार ने सोमवार को उच्च न्यायालय में इस बात को स्वीकार किया। उच्च न्यायालय को यह भी बताया गया कि इस संबंध में उपाय करने के लिए मेलघाट और अन्य आदिवासी क्षेत्रों के लिए अदालत के आदेश के अनुसार विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।

पिछले तीन वर्षों में राज्य में 15,253 बाल विवाह हुए हैं, जिनमें से केवल 10 प्रतिशत ही रुके हैं। उच्च न्यायालय (bombay high court)  ने चिंता व्यक्त की कि बाल विवाह की संख्या बहुत अधिक थी। साथ ही क्या इन आदिवासियों को सभ्य समाज में लाना संभव है? यही सवाल हाईकोर्ट ने पूछा था।

मेलघाट और अन्य दूरदराज के आदिवासी इलाकों में बच्चे दिन-ब-दिन कुपोषण से मर रहे हैं। वहां के नागरिकों को और भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले में मुंबई उच्च न्यायालय मे डॉ. राजेंद्र बर्मा और सामाजिक कार्यकर्ता बंडू साने सहित अन्य ने विभिन्न जनहित याचिकाएं दायर की हैं। सोमवार को चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस वीरेंद्र सिंह बिष्ट के समक्ष सभी याचिकाओं पर सुनवाई हुई।

अदालत के एक आदेश के अनुसार, तीन सदस्यीय समिति ने 16 आदिवासी जिलों में बाल विवाह की उच्च दर का सर्वेक्षण किया और उन्हें तीव्र, मध्यम और बाल मृत्यु दर में विभाजित किया। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण में लड़कियों की शादी की उम्र और उनके पहले बच्चे के जन्म की उम्र की भी जांच की जाती है।

इस बीच हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को बताया कि बाल अधिकार आयोग के अध्यक्ष का पद पिछले दो साल से खाली है,उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर उनकी भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है।

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