पुलिस कमिश्नर संजय पांडे ने पोक्सो एक्ट के तहत आदेश में संशोधन किया

मुंबई पुलिस आयुक्त संजय पांडे ने हाल ही में POCSO अधिनियम के तहत संशोधित आदेश को फिर से संशोधित किया है, जिसमें कहा गया है कि जोनल डीसीपी की अनुमति के बिना छेड़छाड़ या अपराध के लिए कोई भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी।

पुलिस कमिश्नर  संजय पांडे ने पोक्सो एक्ट के तहत आदेश में संशोधन किया
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मुंबई के पुलिस आयुक्त संजय पांडे ने हाल ही में POCSO अधिनियम के तहत संशोधित आदेश को फिर से संशोधित किया है, जिसमें कहा गया है कि शिकायत मिलने के बाद, जोनल डीसीपी की अनुमति के बिना छेड़छाड़ या अपराध के लिए कोई भी प्राथमिकी( FIR) दर्ज नहीं की जाएगी।

एक संशोधित आदेश जारी करते हुए  पुलिस आयुक्त संजय पांडे ने  अपने अधिकारियों को POCSO अधिनियम के तहत छेड़छाड़ और अपराधों के मामलों में तुरंत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जिन मामलो में उन्हें किसी भी तरह की गड़बड़ी का संदेह नहीं है।

संशोधित आदेश में आगे कहा गया है कि कभी-कभी संपत्ति के मुद्दे, वित्तीय विवाद या व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण छेड़छाड़ की और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत पुलिस शिकायतें दर्ज की जाती हैं। ऐसे मामलों में, एक वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक को प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश लेने के लिए सहायक पुलिस आयुक्त और संबंधित उपायुक्त (DCP) से संपर्क करना चाहिए।

इसके अलावा, थाना प्रभारी को एक स्टेशन डायरी रखना होगा जिसमे लिखा होगा की मामला दर्ज करने की अनुमति के बारे में लिखा होना चाहिए।  ऐसे मामलों में कोई गिरफ्तारी करने से पहले अधिकारियों को एसीपी की मंजूरी लेनी चाहिए और जोनल डीसीपी को उन मामलों में व्यक्तिगत रूप से जांच की निगरानी करने का भी निर्देश दिया गया है। 

6 जून को मुंबई पुलिस  कमिश्नर   संजय पांडे ने एक परिपत्र जारी कर आदेश दिया था की छेड़छाड़ के लिए या POCSO अधिनियम के तहत एक प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) केवल  ACP की सिफारिश पर और DCP की अनुमति प्राप्त करने के बाद दर्ज की जानी चाहिए। 

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