निर्भया गैंगरेप के बाद बने निर्भया फंड का एक पैसा तक महाराष्ट्र में खर्च नहीं

साल 2013 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप के बाद केंद्र सरकार ने निर्भया फंड बनाया था जिसको सभी राज्यों में महिलाओं के सुरक्षा के लिए आंवटित किया था

निर्भया गैंगरेप के बाद बने निर्भया फंड का एक पैसा तक महाराष्ट्र में खर्च नहीं
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साल 2013 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप के बाद महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए  केंद्र सरकार ने निर्भया फंड की शुरुआत की। इस फंड को सभी राज्यो में महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए आवंटित किया गया। लेकिन हैरानी की बात ये ही की इस तरह की घटना होने के बाद भी राज्यों में महिलाओं की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया।  कई राज्य को ऐसे है जिन्होने निर्भया फंड का एक पैसे तक खर्च नहीं किया है।   

इन राज्यों ने नहीं खर्च किया एक रुपया भी

लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान निर्भया कोष के आवंटन के संबंध में सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार आवंटित धनराशि में से 11 राज्यों ने एक रुपया भी खर्च नहीं किया। इन राज्यों में महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा के अलावा दमन और दीव शामिल हैं। दिल्ली ने 390.90 करोड़ रुपए में से सिर्फ 19.41 करोड़ रुपए खर्च किए। उत्तर प्रदेश ने निर्भया फंड के तहत आवंटित 119 करोड़ रुपए में से सिर्फ 3.93 करोड़ रुपए खर्च किए। कर्नाटक ने 191.72 करोड़ रुपए में से 13.62 करोड़ रुपए, तेलंगाना ने 103 करोड़ रुपए में से केवल 4.19 करोड़ रुपए खर्च किए।

महाराष्ट्र मे भी निर्भयाफंड का एक रुपया तक खर्च नहीं

महाराष्ट्र् में मुबंई सहीत कई ऐसे शहर है जो महिलाओं के लिए सुरक्षित माने जाते है। लेकिन कई बार इन शहरों में भी महिलाओं के साथ शारिरीक और मानसिक अत्याचार की वारदातें सामने आती रही है।  हालांकी इसके बाद भी महाराष्ट्र में निर्भया फंड का एक रुपया तक खर्च नहीं किया गया है।

संसद में पेश आंकड़ों के अनुसार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से जुड़ी योजनाओं के लिये 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को महिला हेल्पलाइन, वन स्टाप सेंटर स्कीम सहित विभिन्न योजनाओं के लिये धन आवंटित किया गया था। दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, दादरा नगर हवेली और गोवा जैसे राज्यों को महिला हेल्पलाइन के लिए दिए गए पैसे जस के तस पड़े हैं।

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार साल 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3.29 लाख मामले दर्ज़ किए गए। 2016 में इस आंकड़े में 9,711 की बढ़ोतरी हुई और इस दौरान 3.38 लाख मामले दर्ज किए गए।इसके बाद 2017 में 3.60 लाख मामले दर्ज किये गए। साल 2015 में बलात्कार के 34,651 मामले, 2016 में बलात्कार के 38,947 मामले और 2017 में ऐसे 32,559 मामले दर्ज किये गए

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