मुंबई में विकास के नाम पर चल रहे झोपड़पट्टी पुनर्विकास योजना (एसआरए) में विवाद कोई नई बात नहीं है। लेकिन इस बार जो विवाद के रूप में जो वीडियो सामने आया है उससे तो विवाद की जड़ पर से एकदम से मिटटी हट गई है। संदीप येवले नाम के एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने गरीबों के पुनर्वास के नाम पर हो रहे काम में भ्रष्टाचार के बड़े खेल का पर्दाफाश करने का दावा करते हुए एक वीडियो जारी किया है जिसमें कुछ दो लोग उन्हें 40 लाख रूपये देते हुए नजर आ रहे हैं।
संदीप येवले एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। इन्होने एक प्रेस कोंफ्रेंस बुलाई और सभी पत्रकारों के सामने ही 40 लाख रूपये उलट दिए, और कहा कि ये 40 लाख रुपए हैं। मुंबई के एक बिल्डर से रिश्वत में मिले एक करोड़ रुपए में से बचे हैं बाकी के 60 लाख रूपये अन्य सामाजिक कार्यों में खर्च हो गए।
उन्होंने आगे बताया कि विक्रोली इलाके में एसआरए की योजना में हुआ घोटाला उजागर नहीं करने के लिए ओमकार बिल्डर की तरफ से उसे 11 करोड़ रुपए रिश्वत की पेशकश की गई। इसमें से पहली किश्त के रूप में 29 मई को 60 लाख रुपए मिले जबकि दूसरा किश्त 21 जून को 40 लाख रुपए के रूप में मिला। यह रकम उन्हें उनके घर पर दी गयी। जिन्हें ओमकार बिल्डर के दो आदमियों ने आ कर दिया था।
विक्रोली पार्कसाईट के हनुमान नगर में म्हाडा की जमीन पर लगभग 2500 परिवार झोपड़े बना कर रहते हैं। इस एरिया के डेवलपमेंट के लिए 1994 में ही एसआरए योजना के तहत यहां बिल्डिंग का निर्माण होना था लेकिन 22 साल के बाद भी आज तक यहां कुछ नहीं हुआ। यह योजना एक बिल्डर से दूसरे और दूसरे से तीसरे के पास जाती रही, लेकिन कार्य के नाम पर आज तक कुछ नहीं हुआ। येवले ने बताया कि ओमकार बिल्डर अब तक यहां आने वाले तीसरे बिल्डर हैं।
येवले ने बताया कि ओमकार बिल्डर ने यहां आकार खुद को स्वयं सिद्ध करते डेवलपमेंट की इच्छा जताई है जबकि उनका विरोध यहां के स्थानीय लोग कर रहे हैं। येवले ने आगे बताया कि स्थानीय लोगों से कोई सहमती न लेकर और बिना परिशिष्ट-2 के ही बिल्डर यहाँ अपना कार्य कर रहा है।
22 साल तक रखड़ने के बाद दिसंबर 2016 में तात्कालीन एसआरए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विश्वास पाटिल ने कार्रवाई करते हुए बिल्डर को 13(2) के तहत नोटिस भी भेजा था। येवले ने आरोप लगाते हुए बताया कि नोटिस का जवाब आज तक नहीं दिया गया और एसआरए के अधिकारिओयों ने भी चुप्पी साध ली।
गृहनिर्माण राज्यमंत्री रवींद्र वायकर ने इस मामले को गंभीर मानते हुए इसकी तह तक जांच कराने का आश्वासन दिया है।
ओमकार बिल्डर ने सभी आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि येवले उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। वो यह चाह रहे हैं कि मैं इस प्रोजेक्ट से अलग हो जाऊं। उन्होंने स्पष्टीकरण देते हुए बताया कि यह रकम उन्हें 88 लोगों को किराया देने के लिए दी गयी थी। उन्होंने आगे कहा कि ट्रांजिट कैंप की स्थिति ठीक नहीं है। बारिश में लोग दूसरा घर किराये पर लेकर रहें इसीलिए पैसा भेजा गया था।
अब इस मामले की हकीकत क्या है यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा लेकिन एक बार फिर से एसआरए में हो रही धांधली सबके सामने आ गई है।
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