संजय दत्त की रिहाई पर कोर्ट की शनि दृष्टि


संजय दत्त की रिहाई पर कोर्ट की शनि दृष्टि
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कहते हैं मनुष्य का कर्म उसका पीछा नाची छोड़ता, अभिनेता संजय दत्त पर यह कहावत बिलकुल सटीक बैठती है। सोमवार को एक बार फिर वे मुश्किल में घिरते दिखाई दिए। बॉम्बे हाईकोर्ट ने संजय दत्त की जेल से जल्दी रिहाई होने पर सवाल उठाया और महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि संजय दत्त आधे समय पैरोल पर जेल से बाहर रहे तो फिर उनकी इतनी जल्दी रिहाई कैसे हो गई? कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को संजय दत्त की जल्दी रिहाई के फैसले को सही साबित करने के लिए कहा है।

कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को हलफनामा भी दाखिल करने को कहा। हलफनामे के अनुसार संजय दत्त के साथ नरमी बरतने के लिए किन मानदंडों पर विचार किया गया और क्या प्रक्रिया अपनाई गई। अधिकारियों ने यह कैसे पता लगाया कि संजय का व्यवहार अच्छा हो गया है? जब संजय दत्त आधे समय पैरोल पर रहे तो अधिकारियों को उनके व्यव्हार का आकलन करने का वक्त कब मिल गया? न्यायमूर्ति आर. एम. सावंत और न्यायमूर्ति साधना जाधव ने सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप भालेकर की जनहित याचिका पर सुनवाई की। यह वहीँ भालेकर हैं जिन्होंने पहले भी संजय दत्त को बार-बार पैरोल और फरलो दिए जाने को चुनौती दी थी।

मामले की जांच और कोर्ट की लंबी सुनवाई के दौरान दत्त ने करीब डेढ़ साल जेल में बिताए। मुंबई की टाडा कोर्ट ने 31 जुलाई, 2007 को संजय दत्त को शस्त्र अधिनियम के तहत छह साल के कड़े कारावास की सजा सुनाई थी और 25000 रुपए का जुर्माना लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में फैसले को कायम रखा, लेकिन सजा को घटाकर पांच साल का कर दिया। इसके बाद दत्त ने बाकी सजा काटने के लिए आत्मसमर्पण कर दिया था। दत्त को जेल में सजा काटने के दौरान दिसंबर 2013 में 90 दिन की पैरोल दी गई थी। बाद में 30 और दिन की पैरोल दी गई।

गौरतलब है कि संजय दत्त को साल 1993 मुंबई बम धमाकों के मामले में पांच साल जेल की सजा सुनाई गई थी। उन्हें AK-56 राइफल रखने के लिए आर्म्स एक्ट के तहत दोषी पाया गया था। मामले के दौरान जमानत पर चल रहे संजय दत्त ने मई 2013 में आत्मसमर्पण कर दिया था। उन्हें फरवरी 2016 में पूणे की यरवडा सेंट्रल जेल से अच्छे व्यवहार के कारण फरवरी 2016 में जल्द रिहा कर दिया गया था।


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