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ऑल्ट बालाजी ने 'द वर्डिक्ट - स्टेट वर्सेस नानावटी' के नए पोस्टर्स किए रिलीज

सिल्विया नानावटी को समाज द्वारा ट्रायल पर रखा गया था, जबकि राष्ट्र के नायक के.एम. नानावती असल में वो शख्स थे जिन्होंने कमान संभाल ली थी। अदालत के बाहर कई निर्णय पारित किए गए, और देश बहस के साथ उग्र था।

ऑल्ट बालाजी ने 'द वर्डिक्ट - स्टेट वर्सेस नानावटी'  के नए पोस्टर्स किए रिलीज
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ऑल्ट बालाजी के कोर्टरूम ड्रामा 'द वर्डिक्ट - स्टेट वेर्सिस नानावटी' के नए पोस्टर्स रिलीज हो गए है और निर्माता यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि प्रशंसकों के बीच उत्साह कायम रहे। जब से ट्रेलर रिलीज हुआ है, इसे दर्शकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि यब वेब सीरीज दर्शकों को पसंद आएगी।

निर्माताओं ने सोशल मीडिया पर पोस्टर शेयर करते हुए लिखा, पेश है 1959 का भारत! स्वतंत्र मगर पितृसत्तात्मक। प्रगतिशील मगर रूढ़िवादी। इसने भारतीय न्यायिक प्रणाली भी दिया, जो अपने इतिहास में अब तक का सबसे विवादित मामला है। एक ऐसा केस जिसने समाज को तोड़ दिया था;  पुरुष बनाम महिला, पारसी बनाम सिंधी, नैतिक आचार विचार बनाम कानूनी न्याय।

सिल्विया नानावटी को समाज द्वारा ट्रायल पर रखा गया था, जबकि राष्ट्र के नायक के.एम. नानावती असल में वो शख्स थे जिन्होंने कमान संभाल ली थी। अदालत के बाहर कई निर्णय पारित किए गए, और देश बहस के साथ उग्र था।

एक ऐसा केस देखने के लिए तैयार हो जाइए जिसने समुदायों और मतों को विभाजित कर दिया था जबकि देश ने इस बात पर विचार-विमर्श शुरू कर दिया था कि कौन दोषी है और कौन निर्दोष है।

शशांत शाह द्वारा डायरेक्टेड, 10-एपिसोड की सीरीज 1959 की वास्तविक जीवन की घटना पर आधारित है। जहां एक दमदार पारसी नौसेना अधिकारी ने अपने रिवाल्वर की तीन गोलियों से एक समृद्ध सिंधी व्यापारी को छलनी कर दिया था, जिसके बाद उस पारसी नौसेना अधिकारी ने पुलिस के पास स्वयं अपने क्रूर अपराध को स्वीकार भी कर लिया था। छह दशकों के बावजूद, केएम नानावटी बनाम महाराष्ट्र राज्य की कुख्यात कहानी अभी भी भारत में सबसे सनसनीखेज आपराधिक मामलों में से एक है।

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