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अंबिका के किरदार ने मुझे अंदर तक हिला दिया : गुलकी जोशी

गुलकी थिएटर के टेलीप्ले ‘पुरूष’ में एक निडर और उदार सामाजिक कार्यकर्ता अंबिका भागवत की भूमिका निभा रही हैं। यह टेलीप्ले अब जी5 (ZEE5) पर उपलब्ध है।

अंबिका के किरदार ने मुझे अंदर तक हिला दिया : गुलकी जोशी
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स्टेज पर बलात्कार पीड़िता के दर्द और खौफ को बयां करना किसी भी कलाकार के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। जिसके लिए कलाकार का उस चरित्र के साथ भावनात्मक तौर पर जुड़ाव बेहद जरूरी है। ‘पुरूष’ में अपने किरदार से एक्टर गुलकी जोशी ने इस बात को फिर से साबित किया है। वे सच्चाई से इस बात को स्वीकार करते हुए कहती हैं, "मैं बहुत डर गई थी।" गुलकी  थिएटर के टेलीप्ले ‘पुरूष’ में एक निडर और उदार सामाजिक कार्यकर्ता अंबिका भागवत की भूमिका निभा रही हैं। यह टेलीप्ले अब जी5 (ZEE5) पर उपलब्ध है। 

गुलकी दो साल के अंतराल के बाद 'पुरुष' के साथ रंगमंच पर वापसी कर रही हैं। प्ले में अंबिका की भूमिका को वे बहुत डिमांडिंग और चुनौतीपूर्ण मानती हैं। गुलकी कहती हैं, “पहले थिएटर करते हुए मैं सीन में पूरी तरह से डूब जाती थी। मैं इस बात को लेकर आशंकित थी कि मैं कहीं एग्रेसिव या बहुत डरपोक न दिखूं। दोनों के बीच का संतुलन हासिल करना बहुत जरूरी था।” अंबिका की जटिल भूमिका निभाने के साथ ही गुलकी को दिग्गज अभिनेता आशुतोष राणा के साथ भी तालमेल बैठाना था। आशुतोष प्ले में एक अत्याचारी और महिलाओं से घृणा करने वाले राजनेता गुलाब सिंह की भूमिका निभा रहे हैं। वह कहती हैं, “आशुतोष जी के साथ काम करने को लेकर शुरुआत में मैं बहुत डरी हुई थी लेकिन बाद में बेहद कंफर्टेबल हो गई। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा और सबसे अच्छी बात यह थी कि उनमें जरा भी ईगो नहीं है। 

"  जयवंत दलवी की ‘पुरूष’ उत्तर प्रदश के मेरठ के एक मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार की कहानी है। कहानी का प्लॉट ब्राह्मण परिवारों में व्याप्त अनेक प्रचलित मान्यताओं की पड़ताल करती है जो भारतीय समाज में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी प्रभावित करते हैं। समाज को पीछे ले जाने वाले और निरंकुश वातावरण में, अंबिका न सिर्फ खुद के लिए लड़ती है, बल्कि उन दूसरी महिलाओं के लिए भी खड़ी होती है, जिनके साथ अन्याय या अत्याचार किया जाता है। गुलाब सिंह के खिलाफ उसकी लड़ाई में उसे अपने जैसे दूसरे लोगों का साथ मिलता है जिन्होंने कभी हार नहीं मानी और आखिरकार न्याय पाने का रास्ता ढूंढ़ लिया। चुनौतीपूर्ण भूमिका होने के साथ ही गुलकी खुद को अंबिका के किरदार के नजदीक पाती हैं। उन्होंने महसूस किया कि यह रोल उन्हें इसलिए ऑफर किया गया क्योंकि उनका व्यक्तित्व अंबिका से काफी मेल खाता है। असल जिंदगी में भी वे अपने सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं करतीं हैं।

गुलकी कहती हैं कि प्ले का एक महत्वपूर्ण सीन जिसमें गुलाब सिंह अंबिका का बलात्कार करता है, मेरे लिए कभी न भूलने वाला अनुभव है। डायरेक्टर के कट बोलने के बाद भी उस भावनात्मक स्थिति से निकलने में उन्हें काफी समय लगा। गुलकी कहती हैं, “एक बिंदु पर मैं टूट गई थी क्योंकि किरदार में मैं इस हद तक समा गई थी कि मुझे पता ही नहीं था कि मुझे कहाँ रुकना है। फाइनल शॉट ओके होने के बाद भी मैं सीन से बाहर नहीं निकल सकी।"

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