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कांदिवली का कपोल विद्यानिधि इंटरनेशनल स्कूल पर गड़बड़ियों के आरोप

कांदिवली में कपोल विद्यानिधि इंटरनेशनल स्कूल ने स्कूल को बंद करने के सरकारी आदेश के खिलाफ कोर्ट का रुख किया

कांदिवली का कपोल विद्यानिधि इंटरनेशनल स्कूल पर गड़बड़ियों के आरोप
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कांदिवली स्थित कपोल विद्यानिधि इंटरनेशनल पर एक बार फिर से गड़बड़ियो के आरोप लगे है। स्कूल के पास शिक्षा का अधिकार ( Right to education) अधिनियम के तहत मान्यता नहीं है,जिसके कारण शिक्षा विभाग ने इस स्कूल को बंद करने का नोटिस दिया है। हालांकी स्कूल ने कोर्ट का रुख करते हुए अपनी याचिका मे कहा है की उनके स्कूल पर शिक्षा का अधिकार (Right to education) अधिनियम लागू नही होता क्योकी वह भाषाई अल्पसंख्यक संस्थान है।(Allegations of irregularities on Kapol Vidyanidhi International School of Kandivali)

ज्यादा फिस लेने का भी लगा है आरोप

स्कूल का विवादो के साथ पूराना नाता रहा है। एक छात्र के अभिभावक के अनुसार कोविड समय के दौरान भी स्कूल ने छात्रो से बढ़ी हुई फिस ली और जिन छात्रो ने फिस नही जमा की उनके साथ भी गलत व्यवहार किया गया। अभिभावको ने स्कूल के इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया था।  फिस ना देने वाले बच्चो को दो दिनो तक लैब मे बैठा कर रखा गया था।  जिसके बाद इस मामले की शिकायत भी की गई थी।  इसके साथ ही स्कूल पर ड्रेस और किताबो को भी जबरदस्ती बच्चो को बेचने के भी आरोप लगे है।  

प्रार्थना के समय अजान बजाने को लेकर भी हुआ था विवाद 

इसी साल जून के महिने मे  कपोल इंटरनेशनल स्कूल के बाहर  पैरेंट्स ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। उनका आरोप था कि स्कूल के अंदर सुबह प्रार्थना के समय अजान बजाई गयी। इस मामले की शिकायत के बाद स्थानीय पुलिस ने भी मामले की जांच शुरू कर दी। प्रदर्शनकारी अभिभावकों ने स्कूल परिसर में धरने पर बैठने की धमकी दी जिसके बाद अज़ान बजाने वाले शिक्षक को निलंबित कर दिया गया।

स्कूल को बंद करने के आदेश


जनवरी में शिक्षा निरीक्षक (EI मुंबई पश्चिम क्षेत्र) नवनाथ वणवे ने स्कूल को बंद करने का निर्देश दिया था। हालांकी इसके बाद भी स्कूल मे पढ़ाई जारी रही। शिक्षा निरीक्षक ने जून में डिप्टी ईआई धर्मेंद्र नाइक को एक पत्र जारी किया जिसमें उनसे छात्रों को अन्य नजदीकी स्कूलों में स्थानांतरित करने के लिए कहा गया।

स्कूल के पास नही है शिक्षा के अधिकार अधिनियक का नमूना 2 

Right To Education (शिक्षा का अधिकार) अधिनियम के तहत सभी निजी तौर पर चल रहे स्कूलों को शिक्षकों, स्कूल इमारतो, पुस्तकालय और उपकरण से संबंधित  मानदंडों को पूरा करके मान्यता प्रमाण पत्र प्राप्त करना आवश्यक है। इस  प्रक्रिया को फॉर्म 1 यानी की नमुना 1 के रुप मे जाना जाता है। 2011 मे इस अधिनियम को लागू किया गया था। 

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मान्यता प्रमाण पत्र जिसे फॉर्म 2 यानी की नमूमा के रूप में जाना जाता है उसे ऑन-साइट निरीक्षण के बाद स्कूल को प्रदान किया जाता है। बिना मान्यता के चल रहे स्कूलों के लिए कानून में 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।  बिना मान्यता के स्कूल चलते रहे तो प्रति दिन 10,000 रुपये का आवर्ती जुर्माना भी लगाया जाएगा। स्कूलों को हर तीन साल में अपनी मान्यता रिन्यू करानी होती है।

बिना सुनवाई के स्कूल के खिलाफ कार्रवाई

स्कूल ने 28 अगस्त को राज्य सरकार, राज्य शिक्षा विभाग, बीएमसी और शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ एक रिट याचिका दायर की। स्कूल ने कोर्ट ने दायर अपनी याचिका मे कहा है की  शिक्षा अधिकारियों ने बिना सुनवाई के स्कूल के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का फैसला किया। स्कूल ने अदालत से अधिकारियों द्वारा भेजे गए नोटिस को रद्द करने और स्कूल के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया है। 

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