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महाराष्ट्र: कक्षा 1 से 9 तक के टीचरों को 50 फीसदी तो 10वी औ 12वीं के टीचरों को 100 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य

हालांकि, इसमें यह निर्दिष्ट नहीं किया गया है कि, स्कूलों (school) में शिक्षकों से क्या कराने की उम्मीद की जा रही है, क्योंकि कोरोना काल में तो ऑनलाइन ही क्लास ली जा रही है।

महाराष्ट्र: कक्षा 1 से 9 तक के टीचरों को 50 फीसदी तो 10वी औ 12वीं के टीचरों को 100 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य
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महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra government) द्वारा जारी किए गये नए नियमानुसार कक्षा 1 से लेकर 9 तक के टीचरों को स्कूलों में उपस्थिति 50 फीसदी और 10वीं और 12वीं के टीचरों की उपस्थिति 100 फीसदी अनिवार्य कर दी गई है। मंगलवार 15 जून से नया शैक्षणिक वर्ष शुरू हो गया है।

इसके अलावा, राज्य सरकार ने उसी के संबंध में एक परिपत्र जारी किया। हालांकि, इसमें यह निर्दिष्ट नहीं किया गया है कि, स्कूलों (school) में शिक्षकों से क्या कराने की उम्मीद की जा रही है, क्योंकि कोरोना (covid19) काल में तो ऑनलाइन (online) ही क्लास ली जा रही है। प्राचार्यों ने कथित तौर पर कहा कि वे शिक्षकों को कक्षाओं से ही ऑनलाइन पढ़ाने के लिए कह सकते हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 11वीं कक्षा के लिए लेक्चरर/प्रोफेसर की शत-प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है। साथ ही राज्य यह चाहता है कि कक्षा 10 और 12 के सभी शिक्षक अपने स्कूलों और कॉलेजों में माध्यमिक विद्यालय प्रमाणपत्र (एसएससी) और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (एचएससी) के परिणाम घोषित करने के लिए मूल्यांकन कार्य भी करें।

इसके अलावा, राज्य भर के स्कूलों के सभी कार्यरत कर्मचारियों को संस्थानों को रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है। कोरोना काल को देखते हुए, कई शिक्षकों द्वारा लंबी दूरी की यात्रा करने के बारे में असंतोष व्यक्त किया है, खासकर तब, जब मुंबई (Mumbai) की लोकल ट्रेनों (local train) में केवल आवश्यक सेवा में रत कर्मियों को ही यात्रा की छूट मिली है।

इससे पहले सोमवार, 14 जून को, मुंबई रीजन (mmr) के शिक्षकों ने स्कूलों में जाने के लिए लोकल ट्रेनों में बिना टिकट यात्रा और बिना जुर्माना भरे आंदोलन किया था और इनकी मांग है कि इन्हें भी लोकल ट्रेनों में यात्रा करने की छूट दी जाए।

दूसरी ओर, राज्य भर के स्कूलों ने कोरोना वायरस (coronavirus) के प्रकोप और उसके बाद लगे लॉकडाउन के कारण प्राइमरी शिक्षा काफी प्रभावित हुई।

नतीजतन, कई प्राइमरी स्कूल विशेष रूप से निजी स्कूलोंं को बंद करना पड़ा क्योंकि उनमें बहुत कम बच्चों का नामांकन हुआ था। साथ ही ऐसे स्कूल शिक्षकों और बुनियादी ढांचे की लागत वहन नहीं कर पा रहे थे।

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