मुंबई के कुछ कॉलेज छात्र हित का ध्यान न रखते हुए हिटलरशाही रवैया अपनाते हैं, चाहे इसके लिए भले ही छात्रों को परेशानी हो। मामला मुंबई के नालंदा लॉ कॉलेज का है, जहाँ बीएलएस और एलएलबी के 35 छात्रों द्वारा ऑनलाइन इनरोलमेंट फॉर्म नहीं भरने के कारण दंडस्वरुप उन्हें 10 हजार रूपये जमा करने का फरमान सुनाया गया है। साथ ही कॉलेज प्रशासन की तरफ से धमकी दी गयी है कि 10 हजार रूपये जमा नहीं करने पर उन्हें एग्जाम में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
कुछ महीना पहले लॉ सीईटी की परीक्षा ली गयी थी। इस परीक्षा में पास होने वाले छात्रों को ही कॉलेज में प्रवेश मिला, और अभी हाल ही में पहले सेमेस्टर की परीक्षा भी सम्पन्न हो गयी। लेकिन कुछ दिन पहले नालंदा कॉलेज में नोटिस चिपकाई गयी कि जिन छात्रों ने ऑनलाइन इनरोलमेंट फॉर्म नहीं भरा है साथ ही जो छात्र कॉलेज नहीं आते उन्हें दंडस्वरूप 10 हजार रूपये भरने पड़ेंगे। साथ ही इस बात का भी उल्लेख किया गया था कि यह रकम छात्रों को नगद देंने होंगे। यही नहीं नोटिस में इस बात का भी उल्लेख किया गया था कि पैसा जैम नहीं करवाने पर छात्रों को परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा।
कॉलेज के इस तानाशाही फैसले के विरोध में जब छात्रों ने प्रिंसिपल से बात की तो प्रिंसिपल ने सारा ठीकरा यूनिवर्सिटी पर फोड़ दिया। उन्होंने कहा कि यह यूनिवर्सिटी प्रशासन का निर्णय है इसमें वे कुछ भी नहीं कर सकते। अगर पैसे नहीं दिए गए तो प्रवेश रद्द हो सकते हैं। मुश्किल गरीब छात्रों की थी, लिहाजा उन्होंने स्टूडेंट लॉ काउंसिल छात्र संगठन से इस बार में मदद की गुहार लगाईं है।
इस बारे में स्टूडेंट लॉ काउंसिल के अध्यक्ष सचिन पवार का कहना है कि यूनिवर्सिटी प्रशसान की तरफ से इतनी बड़ी रकम दंड के रूप में वसूलना अनुचित है। जो कॉलेज छात्रों के प्रवेश रद्द करने की धमकी दे रहे हैं यूनिवर्सिटी को उन पर कार्रवाई करनी चाहिए।