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इन 5 फिल्मों में दिखा मां का जज्बा!


इन 5 फिल्मों में दिखा मां का जज्बा!
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मां, माता, आई और आजकल के बच्चे जिसे मॉम कहते हैं, वह किसी भी हाल में अपनी संतान को दुखी नहीं देख सकती। जब भी उसकी संतान पर आंच आई, उसने ईंट से ईंट बजा दी। संतान के सम्मान और न्याय के लिए मां परिवार से लड़ी, समाज से लड़ी, यहां तक कि पूरे सिस्टम से लड़ी, अगर इतने से भी नहीं हुआ तो उसने दुर्गा का रुप धारण कर शस्त्र भी उठाए। मां के इस जज्बे को बॉलीवुड ने सलाम करते हुए बेहतरीन फिल्मंे बनाई हैं। इस फ्राइडे को श्रीदेवी की फिल्म ‘मॉम’ रिलीज हुई है, जो मां की ममता पर ही आधारित है। ‘मॉम’ सराहना के साथ साथ कलेक्शन में भी बेहतर साबित हो रही है। तो चलिए हम आपको ले चलते हैं उन 5 फिल्मों के पास जिसने दिखा दिया कि मां से बढ़कर कोई नहीं।  


मॉम

श्रीदेवी ने अपने फिल्मी करियर के 50 साल पूरे कर लिए हैं। 7 जुलाई 2017 को उनकी 300वीं फिल्म ‘मॉम’ रिलीज हुई है। इस फिल्म में मां अपनी सौतेली संतान को न्याय दिलाने के लिए जद्दोजहद करती है।

‘मॉम’ की कहानी देवकी (श्रीदेवी) नाम की एक महिला की है। जिसका एक परिवार है, परिवार में पति, सौतेली बेटी आर्या और एक छोटी बेटी प्रिया है। देवकी बायोलॉजी की टीचर है, और उसकी स्टूडेंट उसकी सौतेली बेटी आर्या भी है। देवकी सौतेली बेटी को अपनी बेटी जैसा ही मानती है। इस परिवार पर मुसीबत का पहाड़ तब टूट पड़ता है जब आर्या वैलेंटाइन डे पर दोस्तों के साथ पार्टी करने जाती है और वापस नहीं लौटती। पता चलता है कि उसका रेप हुआ है, लेकिन सबूत के अभाव की वजह से उसके दोषियों को अदालत रिहा कर देती है। इसके बाद शुरू होती है बदले की कहानी। कैसी सीधी-साधी औरत बेटी के दोषियों को सजा दिलाने के लिए मां दुर्गा बन जाती है, फिल्म में इसे बाखूबी दिखाया गया है।


मातृ

बॉलीवुड एक्ट्रेस रवीना टंडन का फिल्मी करियर काफी बड़ा है, 25 सालों के करियर में रवीना ने रोमांटिक, कॉमेडी से लेकर सीरियस और गहन मुद्दों पर आधारित फिल्मों में भी काम किया है। रवीना को फिल्म ‘दमन’ के लिए नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है।

रवीना टंडन की 21 अप्रैल 2017 को फिल्म 'मातृ' रिलीज हुई जिसे क्रिटिक्स ने काफी सराहा था। इस फिल्म में विद्या चौहान (रवीना टंडन) एक स्कूल टीचर रहती हैं। एक दिन उन्हें और उनकी बेटी को 5 लड़के किडनैप कर लेते हैं और दोनों के साथ रेप कर वीरान जगह पर फेंक देते हैं। कुछ महीने बाद विद्या इन पांचों कुकर्म करने वाले लड़कों से बदला लेती हैं। इस फिल्म में मां की फाइट को बारीकी से दिखाया गया है।


शक्तिः द पावर

20 सितंबर 2002 में रिलीज हुई फिल्म ‘शक्तिः द पावर’ में करिश्मा कपूर ने एक ऐसी मां का किरदार निभाया था जो अपने बेटे के करियर के लिए गांव छोड़कर भाग जाती है। नंदनी (करिश्मा) कपूर मुंबई में रहती थी पर उसकी शादी बिहार के एक लड़के संजय कपूर (शेखर) के साथ हो जाती है, जो उसे गांव ले जाता है। पर कुछ समय बाद गैंगवार में शेखर की मौत हो जाती है।

शेखर का पिता अपनी गैंग को चलाने के लिए पोते को तैयार करना चाहता है, यानी की नंदनी और शेखर के बेटे को जो कि सिर्फ 8 साल का रहता है। पर लड़ते झगड़ते नंदनी बच्चे को लेकर गांव से भाग निकलती है।


हजार चौरासी की मां

जया बच्चन ने स्कूली बच्ची से लेकर मां और गंभीर से लेकर कॉमेडी फिल्मों तक में काम किया है। उन्होंने लंबे समय के बाद फिल्म ‘हजार चौरासी की मां’ से बॉलीवुड में वापसी की थी।

इस फिल्म को बहुत सारे फिल्म फेस्टिवल में शामिल किया गया था। फिल्म की कहानी एक ऐसी मां की है, जो जेल से अचानक गायब हुए बेटे की तलाश में दर दर भटकती है। साथ ही प्रमाणित करने की कोशिश करती है कि उसका बेटा नक्सलवादी नहीं था। फिल्म में जया बच्चन ने मां का किरदार निभाया था। उनके इस किरदार की काफी सराहना भी हुई थी। यह फिल्म 20 मार्च 1998 को रिलीज हुई थी।


ममता

1966 में रिलीज हुई फिल्म ‘ममता’ में एक्ट्रेस सुचित्रा सेन ने मां और बेटी का किरदार यानी डबल रोल किया था। उनके अपोजिट अशोक कुमार थे जिन्होंने पति का किरदार निभाया था। फिल्म में देवियानी (सुचित्रा सेन) अपनी बेटी के स्टेटस को बचाने के लिए खून भी कर जाती है। देवियानी खराब हालात के चलते प्रोस्टिट्यूट बन जाती है। पर वह नहीं चाहती थी कि उसकी बेटी को कभी यह बात पता चले। जो व्यक्ति बार बार बेटी को बताने की धमकी देता था उसे देवियानी जान से मार देती है।


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