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Save Aarey: आंदोलन हुआ इंटरनेशनल, जापान के पीएम को पत्र लिख की गयी दखल देने की अपील

इस आंदोलन में अब जापानी पीएम शिंजे आबे की एंट्री हो चुकी है। विरोध कर रहे लोगों ने इस मामले में शिंजे आबे को पत्र लिखा है और पेड़ों को बचाने की अपील की है।

Save Aarey: आंदोलन हुआ इंटरनेशनल, जापान के पीएम को पत्र लिख की गयी दखल देने की अपील
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मुंबई के उपनगर गोरेगांव में स्थित आरे कॉलोनी में मेट्रो-3 के कारशेड बनाने के लिए 2700 पेड़ों को काटने का विरोध अब अंतर्राष्ट्रीय होते जा रहा है। इस आंदोलन में अब जापानी पीएम शिंजे आबे की एंट्री हो चुकी है। विरोध कर रहे लोगों ने इस मामले में शिंजे आबे को पत्र लिखा है और पेड़ों को बचाने की अपील की है। आपको बता दें कि जापान की कंपनी जापान इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन एजेंसी (JICA) के सहयोग से ही मेट्रो-3 प्रोजेक्ट पर सरकार काम कर रही है। 23,136 करोड़ की इस  मेट्रो परियोजना में जापान इंटरनेशनल कूपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) द्वारा वित्त पोषित है। 

शिंजे आबे को लिखा गया पत्र 
यह पत्र लिखा है अविनाश जाधव ने जो कि जो सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर और इतिहास के विभागाध्यक्ष हैं।पत्र को जापानी भाषा में लिखा गया है और पीएम शिंजे आबे को इस मामले में दखल देने की गुहार लगाई गयी है। इसके पहले अविनाश जाधव ने डिस्कवरी चैनल में प्रसारित होने वाले मैन वर्सेस वाइल्ड के अडवेंचरर बेयर ग्रिल्स को भी पत्र लिख कर उनसे भी इस मामले में दखल देने की मांग की थी।

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हो रहा है आंदोलन 
गौरतलब है कि आरे जंगल के पेड़ों को बचाने के लिए स्थानीय निवासियों सहित कई गैर सरकारी संगठन, कई पर्यावरण प्रेमी, राज नेता और बॉलीवुड की हस्तियां भी सामने आई हैं। साथ ही कई राजनीतिक दलों ने भी सरकार के इस कदम का विरोध कर रहे हैं। पिछले कई दिनों से कई स्कूलों के बच्चों सहित तमाम लोग मानव श्रंखला बना कर सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए नजर आये थे।

कोर्ट में भी है याचिका
इन पेड़ों को काटे जाने के विरोध में बॉम्बे हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गयी है। कोर्ट ने MMRDA के संबंधित अधिकारी ने पेड़ों को काटे जाने से पर्यावरण को नुकसान होने की बात का खंडन किया और कहा कि जितने पेड़ काटे जाएंगे उससे अधिक फिर से लगा दिए जाएंगे, जबकि पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि इन पेड़ों को काटे जाने से मुंबई में बाढ़ आने का खतरा बढ़ जाएगा, इसके साथ ही कई प्रजाति के जीव जंतु लुप्त हो जाएंगे।

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