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Lockdown के कारण मुंबई का कचरा हुआ कम

होटल, मॉल, लॉज, मंगल कार्यालय, कैटरर्स इत्यादि जैसे व्यवसाय अभी बंद हैं। जिसके बाद कचरे के दैनिक संग्रह में 30 प्रतिशत तक की कमी आई है।

Lockdown के कारण मुंबई का कचरा हुआ कम
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 ऐसा नहीं है कि कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण देश दुनिया परेशान हो रही है, या सभी कष्ट में हैं। अगर हम अपने आसपास नजर डालेंगे तो ऐसी कई चीजें नजर आएंगी जो सकारात्मक भी हैं। लॉकडाउन का ही असर है कि इस समय मुंबई, महाराष्ट्र या देश का ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्रदूषण का स्तर काफी कम हो गया है। मुंबई के लिए तो और भी अच्छी खबर है। मुंबई का प्रदूषण निम्न स्तर पर तो आया ही साथ ही मुंबई का कचरा भी काफी कम हो गया है। आंकड़ों के अनुसार मुंबई में हर दिन कचरा संग्रह जहां 7,000 मीट्रिक टन होता था तो वहीं अब यह घटकर 4,000 मीट्रिक टन हो गया है।

जैसा कि आप जानते हैं कि लॉकडाउन के कारण होटल, मॉल और दुकानें बंद हैं। ठेले और खोमचे वाले भी घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। सड़कों पर आवाजाही लगभग बंद ही है। जिसके बाद लॉकडाउन के कारण मुंबई में जमा होने वाले कचरे की मात्रा में 30 प्रतिशत की कमी आई है।  मुंबई में हर दिन 7500 मीट्रिक टन से अधिक कचरा इकट्ठा होता है।  इनमें होटल, मॉल, लॉज, दुकानें और अन्य बड़े व्यवसाय के कचरे भी शामिल हैं। इस कचरों का निपटारा BMC द्वारा किया जाता है।

BMC ने पहले वाणिज्यिक संस्थानों, शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, होटलों आदि से निकलने वाले कचरे को छांटने का निर्देश दिया है। हालाँकि, इसका कार्यान्वयन योजना के अनुसार नहीं हो रहा है।  इसलिए नगरपालिका संचित कचरे का निपटार कर रही है।  कचरे की मात्रा को कम करने के लिए BMC ने छोटी बड़ी सभी सोसायटियों को वर्गीकृत करना अनिवार्य कर दिया है। कई सोसायटियों में तो इसे लागू भी किया गया है।

होटल, मॉल, लॉज, मंगल कार्यालय, कैटरर्स इत्यादि जैसे व्यवसाय अभी बंद हैं। जिसके बाद कचरे के दैनिक संग्रह में 30 प्रतिशत तक की कमी आई है। वर्तमान में देवनार डंपिंग ग्राउंड में 700 मीट्रिक टन कचरा और कंजूरमार्ग डंपिंग ग्राउंड में 3,300 मीट्रिक टन कचरे को डंप किया जा रहा है।

घन कचरा विभाग में 33,000 सफाई कर्मचारी कार्यरत हैं। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मुंबई की सड़कों से कचरा एकत्र करने और उसे डंपिंग ग्राउंड तक ले जाने के लिए जिम्मेदार हैं।  वर्तमान में, कोरोना वायरस का खतरा है और 70 प्रतिशत कर्मचारी कचरा इकट्ठा कर रहे हैं।

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