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...तब तक मुंबई के विकास योजना को अंतिम रूप नहीं दिया जा सकता- बॉम्बे हाईकोर्ट


...तब तक मुंबई के विकास योजना को अंतिम रूप नहीं दिया जा सकता- बॉम्बे हाईकोर्ट
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नीरी (national environment engineering research institute) और महाराष्ट्र प्रदूषण मंडल द्वारा मिल कर नॉइज़ मैपिंग किया गया था और उस नॉइज़ मैपिंग को मुंबई के विकास योजना में जोड़ा गया था। उसका क्या हुआ? बुधवार को एक सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से यह प्रश्न पूछा। इस संबंध में कोर्ट ने राज्य सरकार को एफिडेविट पेश करने का आदेश दिया और कहा कि जब तक नॉइज़ मैपिंग को मुंबई के विकास योजना में जोड़ा नहीं जायेगा तब तक विकास योजना को अंतिम रूप नहीं दिया जा सकता।

 
स्थानीय प्रशासन उदासीन क्यों?

आपको बता दें कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर आवाज फाउंडेशन के सुमेरा अब्दुलाली ने कोर्ट ने एक याचिका दाखिल की थी जिसकी सुनवाई जस्टिस अभय ओक और जस्टिस रियाज छागला की खंडपीठ कर रहा था। याचिका में राज्य सरकार और लोकल बॉडी पर सवाल उठाया गया था कि मुंबई में उत्सव मनाने के दौरान अवैध मंडप बनाया जाता है और फिर डीजे और लाउड स्पीकर के जरिये ध्वनि प्रदूषण किया जाता है। इस पर सत स्थानीय प्रशासन और पालिका उदासीन क्यों रहता है?
दूसरी तरफ नीरी और महाराष्ट्र प्रदूषण मंडल की तरफ से नॉइज़ मैपिंग कर मुंबई के विकास योजना में जोड़ा गया था। उसी के अनुसार यह योजना अब अपने अंतिम चरण में है।  लेकिन अभी तक नॉइज़ मैपिंग को योजना में नहीं जोड़ा गया है, इसीलिए कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई।


शिकायतों के लिए तैयार स्थानीय प्रशासन?
यही नहीं कोर्ट ने मेट्रो-3 को लेकर मिल रही ध्वनि प्रदूषण की शिकायतों पर भी सरकार पर सवाल उठाया। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि मिल रही शिकायतों के मद्देनजर क्या कार्रवाई की गयी और अगर शिकायतें सही है तो उसे रोकने के लिए आपकी तरफ से क्या कदम उठाए जा रहे हैं। ऐसे तमाम सवालों को लेकर कोर्ट ने सरकार को एफिडेविट पेश करने का आदेश दिया।

गौरतलब है कि दक्षिण मुंबई के कफ परेड, चर्चगेट और पैराडाइज सिनेमा जैसे तीन स्थानों पर हो रहे मेट्रो-3 कार्य के चलते सुमेरा अब्दुलाली ने कोर्ट में ध्वनि प्रदूषण की शिकायत दर्ज कराई गयी थी।

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