इस बार के गणेशोत्सव(Ganeshotsav) की तरह ही नवरात्रि पर्व भी बेहद सरल तरीके से मनाया जाना चाहिए। इस संबंध में बीएमसी ने नियम जारी किए हैं।
क्या है नियम
मंडल को सार्वजनिक नवरात्रि समारोहों के लिए पूर्व अनुमति लेनी होगी। इसके लिए एक ऑनलाइन अनुमति प्रणाली स्थापित की गई है।
कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति को देखते हुए, घरेलू और सार्वजनिक दोनों तरह की मूर्तियों को सजाने में कोई फालतू की बात नहीं होनी चाहिए।
सार्वजनिक मंडलियों के लिए देवी-देवताओं की मूर्तियां 4 फीट ऊंची और घरेलू मूर्तियों के लिए 2 फीट ऊंची नहीं होनी चाहिए।
यदि पारम्परिक मूर्ति के स्थान पर छाया मूर्ति हो तो उसका विसर्जन घर में ही करना चाहिए, ताकि आगमन/विसर्जन की भीड़ से बचा जा सके।
देवी के आगमन के लिए 5 व्यक्तियों का समूह होना चाहिए, जो कोविड नियमों का कड़ाई से पालन करेंगे। उन्होंने कोरोना वैक्सीन की दो डोज और दूसरी डोज लेने के 15 दिन बाद भी ली होगी।
सार्वजनिक प्रतिमाओं के आगमन और विसर्जन के समय 10 से अधिक लोग न हों।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि नवरात्रि उत्सव के दौरान गर्भ का आयोजन नहीं किया जाता है और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में भीड़ नहीं होती है।
संभवतः मूर्तियों के दर्शन की सुविधा ऑनलाइन या फेसबुक आदि के माध्यम से उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
साथ ही देवी मंडप में थर्मल स्क्रीनिंग की वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। स्वच्छता नियमों का पालन अनिवार्य होगा।
तम्बू के मुख्य भागों को दिन में तीन बार कीटाणुरहित करना चाहिए।
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए प्रसाद, फूल और माला चढ़ाने से बचें।
कोरोना वायरस के गंभीर प्रकोप को देखते हुए भीड़ से बचें, गरीबी को व्यवस्थित न करें।
टेंट में एक बार में पांच से अधिक कर्मचारी मौजूद नहीं होने चाहिए। टेंट में मास्क पहनना भी अनिवार्य होगा। हमें सामाजिक दूरी बनाए रखते हुए नियमों का सख्ती से पालन करना होगा।
देवी का विसर्जन जुलूस नहीं निकालना चाहिए। विसर्जन कार्यक्रम कम से कम लोगों की संख्या में किया जाना चाहिए। बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षा कारणों से विसर्जन स्थल पर जाने से बचना चाहिए।
प्राकृतिक विसर्जन स्थलों में मूर्तियों का विसर्जन करते समय नागरिक प्रत्यक्ष विसर्जन नहीं कर सकेंगे। नागरिकों को मूर्तियों को इकट्ठा करना होगा। इसके बाद नगर पालिका द्वारा इनका विसर्जन किया जाएगा।